Goat Farming: बकरियों के पीने वाले पानी का भी जरूर चेंक करें टीडीएस, इससे ज्यादा हुआ तो है खतरनाक

yuvan goat farm

युवान गोट फार्म में पली बकरियां.

नई दिल्ली. गर्मी के दिनों में बकरियों के खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले बात कर ली जाए बकरियों को पानी पिलाने की तो, देश के सबसे बड़े गोट फॉर्म युवान एग्रो फॉर्म में आरओ प्लांट लगा हुआ है. इस फार्म के संचालक डीके सिंह ने बताया कि इसी आरओ प्लांट से पानी को फिल्टर करके बकरियों को पिलाया जाता है. क्योंकि बकरियों को दिए जाने वाले पानी का टीडीएस चेक करना बेहद ही जरूरी होता है. इसलिए आरओर प्लांट लगाना जरूरी है. युवान फॉर्म में डेढ़ सौ तक टीडीएस वाला पानी बकरियों को पिलाया जाता है. क्योंकि बकरियां को अगर डेढ़ सौ से ज्यादा टीडीएस वाला पानी पिलाया गया तो इससे उन्हें नुकसान होने लगेगा बकरियों की तबीयत खराब होने लगेगी.

डीके सिंह ने कहा कि बकरियों को गर्मी के दिन में पर्याप्त पानी की जरूरत होती है. इसलिए फार्म में टंकी लगी हुई है और उसी के जरिए जानवर पानी पी लेते हैं. इसमें इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि पानी बहुत ज्यादा गर्म न हो. शीट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जानवरों को ज्यादा गर्मी न लगे, इस वजह से उन्हें बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती है. शेड के अंदर वेंटीलेशन बनाया गया है और पंखे लगाए गए हैं.

भिगोकर खिलाएं भूसा
वहीं बात बकरियों के खाने की करें तो इसके लिए युवान एग्रो फॉर्म में खास व्यवस्था की गई है. बकरियों को गर्मी के दिनों में बाजरा नहीं खिलाया जाता है, इस दौरान बकरियों के खाने में गुड़ की मात्रा को बढ़ाया जाता है और नमक की मात्रा भी बढ़ाई जाती है. जब टेंपरेचर 40 से 45 डिग्री हो जाता है तो इस दौरान बकरियों को जो भूसा दिया जाता है, उसे भिगो दिया जाता है. ताकि जानवरों के शरीर में पानी की कमी ना पाए, भीगे भूसे से भी पानी उन्हें मिलता रहे.

टेंपरेचर कम करने के लिए करें ये काम
डीके सिंह ने फिर दोहराया कि शेड को इंसुलेटेड शीट के साथ बनाया गया है. इस वजह से चार से पांच डिग्री टेंपरेचर यह शीट सहन कर जाती है और इससे शेड के अंदर के टेंपरेचर और बाहर के टेंपरेचर में 4 से 5 डिग्री का फर्क नजर आता है. डीके सिंह ने बताया कि हालांकि इंडियन ब्रीड को गर्मियों में परेशानी नहीं होती है लेकिन गर्मी में निमोनिया खतरा जरूर रहता है. उसके लिए डॉक्टर की टीम यहां है जो चेकिंग करती रहती है ताकि बकरियां बीमार न पड़ें.

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