नई दिल्ली. गर्मियों में हरे चारे की कमी हो जाती है लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत इसी वक्त हर चारे की होती भी है. हरे चारे में कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जो पशुओं को खुद को सेहतमंद रखने में मदद पहुंचाते हैं. जबकि हरे चारे में पानी की मात्रा भी ज्यादा होती है, इससे पशुओं के शरीर में पानी की कमी भी नहीं हो पाती है. यही वजह है कि बकरी पालन में भी हरे चारे की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि आपको शायद यह मालूम न हो कि बकरी पालन बिना हरे चारे के भी किया जा सकता है और उनकी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं.
देश के सबसे बड़े गोट फॉर्म यानी आगरा के फतेहाबाद स्थित युवान एग्रो फार्म में बकरियों को साइंटिफिक तरीके से पाला जाता है और यहां बकरियों की जरूरत का पूरा ख्याल रखा जाता है. ताकि उनसे किसी भी कंडीशन में अच्छा उत्पादन लिया जाए. यहां पाली जा रहीं बकरियां बेहद सेहतमंद भी हैं और जिस तरह से फार्म के अंदर बकरियां पाली जा रही हैं, वैसा ही तरीका युवान एग्रो फॉर्म किसानों को भी सिखा रहा है, अब आते हैं विषय पर कि कैसे हरे चारे की कमी होने पर भी बकरियों का पालन सही तरह से किया जा सकता है. इस बारे में युवान एग्रो फॉर्म के संचालक डीके सिंह ने अहम जानकारी दी है.
हरे चारे की जगह ये खिलाते हैं
जब डीके सिंह से सवाल किया गया कि हरे चारे की कमी हो रही है, क्या हरे चारे के बिना भी बकरी पालन मुमकिन है? जवाब में उन्होंने कहा कि हम 5000 बकरियों को इस वक्त अपने फार्म में पाल रहे हैं. तकरीबन ढाई साल से यह काम कर रहे हैं और हमने अपने फार्म से हरा चारा हटा दिया है. क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में हरा चारा उपलब्ध कराना आसान नहीं होता है. इसलिए हम अपनी बकरियों को दलहन का भूसा खिलाते हैं. उसमें मूंग, मसूर, चना या फिर जिसका भी सीजन रहता है उसका भूसा हम उन्हें खिलाते हैं. ताकि बकरियों को फाइबर और प्रोटीन की कमी न हो. इसके अलावा अनाज बेहद ही अच्छी क्वालिटी का खिलाते हैं.
इन फसलों की कर सकते हैं खेती
डीके सिंह का कहना है कि बकरियों को हरे चारे या सूखा चारे से मतलब नहीं होता है बल्कि उनको ड्राई मैटर से मतलब होता है. मान लीजिए कि एक ग्रोथ करने वाला बकरा है. डेढ़ से 2 किलो उसे ड्राई मैटर चाहिए. अगर उसे सिर्फ 4 किलो हरा चारा खिला दिया जाए तो ऐसे में उसके शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा हो सकती है. उनका कहना है कि हर बकरी पालकों को यह कोशिश करना चाहिए कि जो आसानी से उपलब्ध हो वही चीज खिलाएं. हरे चारे के तौर पर नेपियर घास भी खिलाई जा सकती है. अल्फा अल्फा की खेती करके भी बकरियों को चारा उपलब्ध कराया जा सकता है. अगर बकरियों को थोड़ा सुखाकर खिलाते हैं तो इससे बकरी पालन की लागत कम होती है.