Green Fodder: यूपी में पशुओं के लिए चारा उत्पादन बढ़ाने को सरकार चला रही है ये योजना

गंभीर दस्त से पीड़ित भैंस को अक्सर अंत शीला पोषण की आवश्यकता होती है. किसी अन्य जानवर के रुमेन ट्रांसपोर्टेशन उन जानवरों के लिए सहायक हो सकता है जिन्हें खाना नहीं दिया गया है. या जो अनाज की अधिकता जैसे विशाल अपमान का सामना कर रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. इंसानों की जनसंख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इसके चलते किसान खाद्यान्न फसलों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे चारा फसलों के क्षेत्रफल में लगातार कमी हो रही है. जिससे पशुओं के लिये हरे चारे की समस्या रहती है. जिसके नतीजे में पशुओं का स्वास्थ्य खराब रहता है और वह अपने नस्ल क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पाते हैं. चारे के लगातार सीमित भूमि उपलब्ध होने के कारण प्रदेश में आवश्कता के सापेक्ष चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चारा क्षेत्रफल में विस्तार किया जाना, उच्च गुणवत्तायुक्त चारा बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा खेती की आधुनिक प्रणाली (मिश्रित एवं अन्र्तवर्ती खेती) अपनाकर चारा उत्पादन किया जाना ही एकमात्र विकल्प है.

प्रदेश में पाये जाने कुल पशुधन संख्या हेतु आवश्यक हरे चारे, सुखे चारे एवं दाने की सभी श्रोतो को मिलाकर कुल उपलब्धता लगभग 55.85 प्रतिशत हरा चारा, एवं 78.89 प्रतिशत सूखा चारा एवं 13.43 प्रतिशत दाना ही हासिल हो पाता है. इस प्रकार 44.15 प्रतिशत हरे चारे, 21.11 प्रतिशत सूखे चारे एवं 84.57 प्रतिशत दाने की कमी है. प्रदेश में पाये जाने वाले कुल पशुधन संख्या को चारा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के तहत कुल कृषित क्षेत्रफल का लगभग 8.19 प्रतिशत (14.00 लाख हे०) क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी जो खेती योग्य भूमियों से भिन्न प्रकार की भूमियों में जैसे बंजर या परती, चरागाह की भूमि, वन भूमि आदि का उपयोग कर बहुवर्षीय चारा उत्पादन के कार्य में इस्तेमाल किया जा सकता है. बता दें कि वर्ष 2023-24 में पशुओं के आहार पूर्ति हेतु विभाग द्वारा निम्न योजनाओ के माध्यम से प्रदेश में चारा विकास कार्यक्रम चलाया है.

अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम (एएफडीपी)
ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों को प्रमाणित चारा बीज उपलब्ध कराने के उददेश्य से राज्य योजना के अधीनअतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम अन्तर्गत प्रदेश में उपलब्ध पशुधन के लिए समस्त 75 जनपदों में 4000 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में हरा चारा उत्पादन के प्रोत्साहन हेतु प्रत्येक चयनित लाभार्थी को कम से कम 0. 1 हे० तथा अधिकतम 0.5 हे० क्षेत्रफल हेतु 500 रुपए प्रति इकाई की दर से (0.1 हे० क्षेत्रफल) चारा बीज निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने के लिए धनराशि रू0 200.00 लाख (रू० दो करोड मात्र) की मांग प्रस्तावित की जा रही है. उक्त कार्य योजना वर्ष 2023-24 की खरीफ, रबी और जायद सीजन में कियान्वित करने हेतु प्रस्तावित की जा रही है.

चारा उत्पादन किट कराई जा रही है उपलब्ध
वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश के सभी 75 जनपदों में हरा चारा उत्पादन हेतु प्रत्येक जनपद की भौगोलिक स्थिति, सिंचित दशा तथा फसल सोजन के अनुसार चारा उत्पादन किट पशुपालकों को निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है. प्रदेश में 80 प्रतिशत पशुपालन का कार्य लघु एवं सीमांत किसानों और पशुपालकों द्वारा किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में योजना को व्यापक रूप से पशुपालकों के फायदेमंद बनाने के लिए न्यूनतम 1 हेक्टेयर तथा अधिकतम 0.5 हेक्टेयर सीलिंग निर्धारित की गयी है.

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