Animal Husbandry: पशुओं को कैसे होती है ब्रुसेलोसिस बीमारी, क्या है इससे बचाव का तरीका, जानें यहां

गोवंश के लिए योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रखी हैं.

चारा खाती एफएफ गाय.

नई दिल्ली. पशुपालन वैसे तो अच्छा काम है लेकिन अगर पशुओं को बीमारी लग जाए तो इससे कई तरह की परेशानियां हो जाती हैं. एक तो पशु का दूध उत्पादन घट जाता है तो वहीं दूसरी तरफ पशुओं की सेहत भी खराब होने का खतरा रहता है. अगर पशु की सेहत खराब होती है तो पशु कमजोर हो जाते हैं और उन्हें एक बीमारी से दूसरी बीमारी लगने का खतरा सताने लगता है. अगर पशु के साथ भी ऐसी स्थिति हो जाती है तो फिर कई बार उनकी मौत होने का भी खतरा रहता है. इसलिए बेहद जरूरी है कि पशुओं को बीमारियों से बचाया जाए. क्योंकि एक्सपर्ट का कहना है कि इलाज से बेहतर बचाव है.

अगर पशु स्वस्थ रहते हैं तो फिर उनका उत्पादन भी बेहतर रहता है और जल्दी उन्हें कोई बीमारी भी नहीं लगती है. वहीं तभी पशुपालन में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको पशुओं में ब्रुसेलोसिस नामक बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं कि ये बीमारी कैसे होती है. इस बीमारी से पशुओं को बचाने के क्या उपाय हैं, तो देर नहीं करते हैं आइए जानते हैं कि ब्रुसेलोसिस के बारे में.

बीमारी होने के कारण क्या हैं
▶ यह रोग ब्रुसेला नामक जीवाणु से होता है.

▶ स्वस्थ मादा पशुओं का संक्रमित नर पशुओं से प्राकृतिक गर्भाधान कराने से ।

▶ संक्रमित पशुओं के गर्भपात के बाद निकले जेर, भ्रूण द्रव्य, योनि स्राव, मूत्र, गोबर इत्यादि के सम्पर्क में आने से यह रोग स्वस्थ पशुओं में भी हो सकता है.

▶ पशु के दूध को बिना खौलाये या बिना पाश्च्युरीकृत किये सेवन करने से भी ये बीमारी होती है.

▶ संक्रमित पशु के तरल या हिमकृत सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कराने से भी बीमारी होती है.

▶ जानकारी के लिए बता दें कि टीकाकरण से ही इस रोग से बचाव संभव है.

▶ इस बीमारी से बचाव की वैक्सीन पशु को जीवन काल में एक ही बार दी जाती है.

ब्रुसेलोसिस रोग से बचाव के उपाय
▶ रोगग्रस्त पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए.

▶ नये पशुओं को झुंड में शामिल करने से पूर्व ब्रुसेलोसिस रोग की जांच करा लेनी चाहिए.

ब्रुसेलोसिस रोग से बचाव के लिए सामान्य सुझाव
▶ लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए.

▶ रोगी पशु के बाड़े को जीवाणुनाशक दवा के छिड़काव द्वारा जीवाणुरहित कर देना चाहिए.

▶ मृत पशु या गर्भपात के बाद निकले सभी द्रव्यों को जला देना या चूने के साथ गड्ढे में गाड़ देना चाहिए.

▶ पशु के सम्पर्क में आने से पहले और बाद में अपने हाथों को एंटीसेप्टिक से साफ कर लेना चाहिए.

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