नई दिल्ली. तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही पशुओं के शरीर में पानी की जरूरत भी बढ़ती है. पारा बढ़ने का सीधा असर दुधारू पशुओं की सेहत पर पड़ता है. ज्यादा गर्मी की वजह से पशुओं में डिहाईड्रेशन की समस्या हो जाती है और इस कारण पशुओं का खाना-पीना भी कम हो जाता है. पशुओं का दूध लगातार कम हो जाता है. पानी की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक पशुओं को एक किलोग्राम चारे के साथ 3-4 कि.ग्रा पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन आहार में प्रोटीन तथा खनिज लवणों की मात्रा ज्यादा हो तो पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है. क्योंकि पेशाब के रूप में पानी का बहाव ज्यादा होता है. पशुओं में पानी की कमी से होने वाले नुकसान पानी की कमी से पशुओं में चारा खाने व पचाने की क्षमता घट जाती है. पचे हुए पोषक तत्वों का शरीर में ठीक तरह से उपयोग नहीं होता है. उसके साथ ही शरीर में मौजूद आवश्यक तत्व भी मल-मूत्र के साथ निकलने लगते हैं. उसकी वजह से पशुओं की दूध उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
अधिक समय तक निर्जलीकरण यानि डिहाईड्रेशन रहने से पशु का खून गाढ़ा हो जाता है. बछड़े-बछड़ियों में कम उम्र में यदि डिहाईड्रेशन की समस्या होती है तो उस वजह से पेचिस हो जाती है. इससे पशुओं की मौत भी हो सकती है. गर्मी में पशुओं में दस्त लगने की भी समस्या रहती है.
पानी कमी को इस तरह करें दूरः पशुओं में निर्जलीकरण के लक्षण की बात की जाए तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है. भूख न लगना, पशु का सुस्त व कमजोर हो जाना, पेशाब गाढ़ा आना, वजन कम हो जाना, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों का सूखना, दुग्ध उत्पादन गिर जाना, सूखी व खुरदरी चमड़ी होना, दुधारू गायों में निर्जलीकरण के परिणाम स्वरूप दुग्ध उत्पादन लगभग समाप्त हो जाता है जिससे पशुपालक को काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है.
गर्मी में बरतें ये सावधानियांः
- पशुओं को बार-बार पानी पिलाते रहें तथा शरीर पर भी पानी का छिड़काव करते रहें.
- पशु को सूखी तूड़ी 30 प्रतिशत और 70 प्रतिशत हरा चारा खिलाएं.
- ताजा तूड़ी खिलाने से पहले उसे शाम के समय भिगोकर रखें.
- पशु के ठान में हमेशा नमक की ईंट रखें जिसको चाटने पर भी पशु को पानी पीने की क्षमता बढ़ती है.
- पशुओं को सुबह-शाम नहलाएं.
- पशुओं को बाड़े में जहां बांधे वहां आसपास पानी का छिड़काव करें.
इस तरह पशुओं में करें डिहाईड्रेशन की पहचानः निर्जलीकरण से बचाव के लिए पशु को कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. पशुओं को पिलाने वाला पानी साफ एवं साफ होना चाहिए. दस्त होने पर पशु को तत्काल पशुचिकित्सालय ले जाकर जाएं. नाड़ी के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में नार्मल सैलाइन एवं इलेक्ट्रॉलाइट्स लगवाए, जिससे पानी की कमी को पूरा किया जा सके. पशुओं को गर्मी से बचाना चाहिए, जिससे कि पशुपालक को अधिक गर्मी में आर्थिक हानि न उठानी पड़े और पशु स्वस्थ रहें. अच्छी सेहत का पशु अच्छी कमाई देने वाला होता है. पशु में पानी की कमी को जांचने के लिए पशु की चमड़ी उठाकर देखें, चमड़ी को छोड़ने पर अगर एक सेकेंड में चमड़ी वापस अपनी सामान्य स्थिति में न आए तो यह पशु में निर्जलीकरण को दर्शाता है.