नई दिल्ली. यूपी के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह में सीएम योगी ने शोधकर्ताओं की सराहना की. कहा कि आप जैसे वैज्ञानिक उस मूक प्राणी की आवाज बनते हैं जिसे दुनिया सुन नहीं पाती. आप सभी का शोध और सेवा समाज को एक नई दिशा देता है. कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं. राष्ट्रपति ने मेधावियों को 24 पदक और 576 स्नातक डिग्री की उपाधियां दी. वहीं सीएम योगी ने संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि IVRI न केवल पशुधन बल्कि हर जीव-जंतु के लिए जीवन रक्षक सेवा का केंद्र बना है.
उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जब RTPCR जांच एक चुनौती बनी हुई थी, तब IVRI ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं. सीएम योगी ने कहा कि IVRI की प्रतिबद्धता यह दिखाता है कि इसकी भूमिका केवल पशु चिकित्सा तक सीमित नहीं, बल्कि वह मानव जीवन रक्षा में भी अग्रणी रही है.
लंपी डिसीज से मुक्त कराने में अहम है वैक्सीन
सीएम योगी ने लंपी स्किन डिसीज पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे इस बीमारी की दूसरी लहर के दौरान जब गोवंश बुरी तरह प्रभावित हुआ, तब IVRI द्वारा विकसित टीके ने उत्तर प्रदेश को संक्रमण से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में हमारी गौशाला में भी संक्रमण फैल चुका था, लेकिन जब वैज्ञानिकों ने परीक्षण वैक्सीन देने की बात कही, तब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला से बात कर अनुमति प्राप्त की गई और IVRI द्वारा बनाई गई वैक्सीन से प्रदेश में लंपी का पूरी तरह से सफाया किया गया. मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिकों को उनके निःशब्द प्राणियों की सेवा के लिए हृदय से धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी खोजों ने किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। आपने पशुधन की उन्नत नस्ल देकर अन्नदाता को सशक्त किया है. IVRI की 136 वर्षों की यह साधना पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है.
सेवा समर्पित करने की शपथ है
दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त कर रहे छात्रों को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आज का दिन आपके जीवन का एक नया अध्याय है. यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि समाज को आपकी सेवा समर्पित करने की शपथ है. आपकी यह यात्रा राष्ट्र के भविष्य निर्माण में निर्णायक होगी। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में कौन कैसे खड़ा होता है, यही उसकी पहचान तय करता है. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता को उद्धृत करते हुए कहा, “आदमी को चाहिए कि वो जूझे परिस्थितियों से एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी समेत कई अधिकारी व जनप्रतिनिधि के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े गणमान्य और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने क्या कहा
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं अपने-अपने विभागों में अच्छा कार्य कर रहे हैं और जिसने श्रेष्ठ कार्य किया है, उसे मेडल अवश्य मिलना चाहिए, परंतु पुरस्कार न मिलने वालों को निराश नहीं होना चाहिए. उन्होंने कृषि शिक्षा को ग्रामीण जरूरतों से जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और ग्रामीण सहभागिता जरूरी है. राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “क्वालिटी एजुकेशन” के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें अपने विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाना है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुल 5 कृषि विश्वविद्यालय हैं और हमें यह समझना होगा कि हमारी जरूरतें, समस्याएं और प्राथमिकताएं क्या हैं, तभी हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आगे बढ़ा सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि कृषि और पशुपालन रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं और इनसे जुड़ी योजनाओं और बजट का पूर्ण उपयोग कर किसानों, महिलाओं और पशुपालकों की जरूरतें पूरी की जा सकती है.