Poultry Diseases: जानें क्या है मुर्गियों में परजीवी रोग और इसके बचाव के कारण

आपका पोल्ट्री बिजनेस नुकसान में ना चले इसके लिए बीमारियों का बचाव बेहद जरूरी है.

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. देश में अंडे और मीट के लिए पोल्ट्री का बिजनेस बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग कर रहे हैं तो यह जानकारी तो जरूर होगी कि ब्रॉयलर मुर्गों को कई तरह की बीमारियों का खतरा फार्म के अंदर रहता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि हमेशा ही बीमारी का इलाज करने से बेहतर यह होता है कि उसे रोका जाए. ताकि इलाज पर खर्च न करना पड़े. आज मुर्गियों में होने वाले परजीवी रोग के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं. थोड़ी सी जानकारी आपके पोल्ट्री फार्म में होने वाले नुकसान को बचा सकती है और इस बिजनेस में मुनाफा दे सकती है.

क्लाइमेट चेंज के चलते मुर्गियां आए दिन किसी ना किसी बीमारी की चपेट में आती रहती हैं. वहीं पोल्ट्री में कुछ बीमारी लग जाने से भी मुर्गियां मर जाती है.

मुर्गियों में परजीवी रोग:

अनेक प्रकार के परजीवी मुर्गियों के शरीर में होते हैं, जोकि मुर्गियों के ब्लड का शोषण करते हैं. इनमें बैचेनी पैदा करते हैं. कई प्रकार के रोग फैलाने में सहायक होते हैं.


इन्हें दो श्रेणियों में बांटा गया है
(1)
बाह्य परजीवी- जुएं, चिचड़ी, माइट्स एवं पिस्सू
(2)
आंतरिक परजीवी- प्रोटोजोआ, कृमि (हेलमिन्स)
(6)
जुऐं (लाइस)- ये प्रायः सभी स्थानों पर मुर्गियों में अधिकतर पंखों के नीचे रहती है. मनुष्यों के जूं से मिलती-जुलती है.

परजीवी के लक्षण

(ii)
चीचड़ (टिक्स)- मुर्गियों को प्रभावित करने वाली किलनी को सोफ्ट टिक या अर्स परसिक्स टिक कहते हैं. ये मुर्गियों में चीचड़ी बुखार या स्पाइरेकीटोसिस फैलाते हैं. इस बुखार के कुछ लक्षण हैं

(iii)
माइट्स : इन्हें स्केली लेग नाइट्स भी कहते हैं, जो कि पैरों के स्केल्स में घुसकर रक्त चूसती है.

लक्षण

खटमल (बग्स या पिस्सू) : ये गहरे खाकी या काले रंग के होते हैं. ये पक्षियों के शरीर से रक्त चूसते हैं और ठंडे मौसम में अधिक विकसित होते हैं.

लक्षण

रोकथाम

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