नई दिल्ली. भारत में मक्का के उत्पादन को बढ़ाने के लिए काम चल रहा है. क्योंकि मक्का जहां इथेनॉल बनाने के काम आता है तो वहीं 50 फीसद से ज्यादा इसका इस्तेमाल पोल्ट्री फीड के लिए किया जा रहा है. पोल्ट्री फीड के लिए मक्का बेहद जरूरी भी है. यही वजह कि अक्सर पोल्ट्री फेडेरेशन आफ इंडिया जैसे कई संगठन मक्का की अहमियत को लेकर सरकार से मिलते रहते हैं और फीड के लिए मक्का ज्यादा उपलब्ध कराने की मांग करते रहे हैं. देश में मक्का का उत्पादन तो जरूर हो रहा है लेकिन प्रति हेक्टेयर उत्पादन में कमी है.
एक तरफ कुछ राज्यों में वैश्विक उत्पादन आंकड़े को छू लिया तो कुछ बेहद ही पीछे हैं, इसकी भी वजह है. आइए इस बारे में यहां जानते हैं.
कौन सा मौसम में मक्का के लिए सही
बता दें कि बिहार, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में मक्का की उत्पादकता अधिक है. क्योंकि फसल मुख्य रूप से रबी सीजन के दौरान उगायी जाती है. जबकि यही मौसम मक्का की फसल के लिए ज्यादा अनुकूल होता है और बढ़ने का क्षेत्र अच्छी तरह से सिंचित होता है, जो अधिक उत्पादकता की ओर ले जाता है. तमिलनाडु में हालांकि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में खरीफ होता है, मौसम फसल के लिए अनुकूल है.
किस मौसम में सबसे ज्यादा बोई जाती है मक्का
भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (IIMR) की रिपोर्ट की मानें तो भारत में, लगभग 70 फीसद मक्का खरीफ मौसम में उगाया जाता है. 23 फीसद रबी में और बाकी 7 फीसद गर्मियों या जैत मौसम के दौरान. जबकि खरीफ की उत्पादकता काफी कम प्रति हेक्टेयर 2.9 टन है. जबकि रबी के दौरान 5 टन और गर्मियों के मौसम में 4.4 टन है. मुख्य रूप से अधिकांश फसले खरीफ मौसम में बोई जाती हैं.
किस तरह के बदलाव की है जरूरत
अन्य प्रमुख मक्का उत्पादक राज्यों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में से अधिकांश राष्ट्रीय औसत से नीचे उपज मिलती है. ये राज्यों की मुख्य निर्भरता खरीफ खेती पर है, जो अनिश्चित मानसून के लिए अधिक संवेदनशील है और सीमित सिंचाई के कारण इसकी उपज कम होती है. इस उत्पादकता के अंतर को पाटने के लिए सीजनल बदलावों से ज्यादा की आवश्यकता है. यह विज्ञान आधारित समाधानों की जरूरत है. यहीं पर बेहतर हाइब्रिड और इथेनॉल के लिए तैयारी का जोर है.
इथेनॉल में कितना मक्का होता है यूज
इथेनॉल वर्तमान में भारत की मक्का उत्पादकता का 18-20 फीसद उपभोग करता है. हालांकि, इथेनॉल की वसूली को अधिकतम करने के लिए—वर्तमान 38 फीसद से 42 परसेंट उच्च स्टार्च सामग्री वाले हाइब्रिड की आवश्यकता है. IIMR नई उच्च उपज देने वाली किस्मों का विकास कर रहा है जो रबी-बसंत मौसम में प्रति हेक्टेयर 10-11 टन और खरीफ में 7-8 टन देने में सक्षम हैं, जिनमें 64-65% की बढ़ी हुई किण्वनीय सामग्री है.