Sheep Meat: देश में भेड़ का मटन भी खाते हैं लोग, जानें किस राज्य के लोगों की है ये पहली पसंद

भेड़ और उसके मीट की तस्वीर.

नई दिल्ली. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि देश में मीट खाने वालों की संख्या बढ़ रही है. एक सरकारी आंकड़े पर गौर किया जाए तो 75 फीसद से ज्यादा लोग अब मीट का सेवन कर रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों की इनकम में इजाफा, बदलती जीवन शैली और मीट की आसान उपलब्धता के चलते भी लोग मीट का सेवन करने लगे हैं. हालांकि अब भी सबसे ज्यादा लोग मीट के तौर पर चिकन को पसंद करते हैं. आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि तकरीबन 52 फीसदी से ज्यादा लोग चिकन ही खाते हैं.

एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों की आजकल व्यस्त जीवन शैली है. उनके पास घर पर खाना बनाने का समय भी कम है. ऐसे में रेडी टू एट फूड और रेस्टोरेंट में मांस की उपलब्धता के कारण यह एक सुविधाजनक विकल्प के तौर पर उन्हें पसंद आ रहा है. इसलिए भी मीट खाने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है. वहीं कोरोना काल के बाद से लोगों में अपनी हैल्थ को लेकर भी अवेयरनेस बढ़ी है. जिसको लेकर लोग मीट की तरफ आकर्षित हुए हैं.

भेड़ का मीट पसंद करने की वजह
एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ मांस जैसे चिकन, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों के बेहतरीन सोर्स माना जाता है. जिसके चलते लोग मीट खाना पसंद कर रहे हैं. हालांकि संतुलित आहार के लिए प्रोटीन के अन्य स्रोत भी मौजूद हैं. मीट के तौर पर भेड़ का मांस भी काफी पसंद किया जाता है. बताते चलें कि भेड़ के मीट को मटन या लैंब कहा जाता है. इसकी खासियत यह होती है कि यह पतला होता है. जिससे इसमें फैट कम होता है. प्रोटीन आयरन और विटामिन का एक अच्छा सोर्स होता है. साथ ही कैल्शियम मैग्नीशियम फास्फोरस और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का भी सोर्स होता है. इस वजह से भी भीड़ का मीट लोग पसंद करते हैं.

यहां पढ़ें कहां सबसे ज्यादा खाया जाता है भेड़ का मीट
चिकन के बाद सबसे ज्यादा भैंस का मीट खाया जाता है और फिर नंबर आता है बकरी और भेड़ का. भेड़ के मीट की बात की जाए तो साल 2024 में 11.41 लाख भेड़ मीट के लिए हलाल की गई थी. वहीं सबसे ज्यादा तेलंगाना में 3.61 लाख भेड़ हलाल की गई. वहीं उसके बाद नंबर आता है कर्नाटका का, यहां पर 1.56 लाख भेड़ों को हलाल किया गया. राजस्थान में 56 हजार भेड़ों को हलाल किया गया. हरियाणा में 14 हजार, जम्मू कश्मीर में 21 हजार, महाराष्ट्र में 11 हजार, तमिलनाडु 65 हजार और वेस्ट बंगाल 25 हजार भेड़ों को हलाल किया गया था.

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