Fisheries : बारिश में इस तरह सुखाएं मछली, मुनाफा बढ़ जाएगा

fishermen beware! Fish may die due to increasing frost, increase oxygen level in pond, livestockanimalnews

प्रतीकात्मक फोटो. Livestockanimalnews

नई दिल्ली. बस जरूरत इस बात की है कि मछली को अच्छे और हाईजीनिक तरीके से सुखा दिया जाए. ऐसा करने से मछली के दाम भी अच्छे मिलते हैं. देखा गया है कि गर्मी में तो मछली आसानी से सूखया जा सकता है लेकिन ठंड के मुकाबले बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा दिक्कतों का समाना करना पड़ता है. दरसअल, इन दिनों में मच्छर-मक्खी ज्यादा होते हैं जबकि अन्य कीट-पतंगों का भी प्रकोप रहता है. हालांकि कुछ सस्ते और आसान से तरीके को अपनाकर बरसात के मौसम में भी मछलियों को सुखाया जा सकता है. बताते चलें कि सूखी मछली के एक्सपोर्ट के कारोबार देश में ही एक साल में 5.5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है.

डबल तक पहुंच गया है एक्सपोर्ट
गौरतलब है कि कई छोटे मछुआरे ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPHET), लुधियाना समेत दूसरे संस्था़नों की नई-नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके साइंटीफिक तरीके से मछली को सुखा रहे हैं. जिसके चलते साल 2022-23 में देश ने 5.5 हजार करोड़ रुपये की सूखी मछली का एक्सपोर्ट करने में सफलता मिली है. बड़ी बात ये है कि एक ही साल में भारत ने इस आंकड़े को डबल तक ​कर लिया है. खुद ये ये आंकड़ा मत्सय-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से रिलीज किया गया है. मंत्रालय ने बताया है कि इस आंकड़े में ड्राई झींगा एक्सपोर्ट के आंकड़े शामिल नहीं किया गया है.

डिमांड के बावजूद नहीं मिलता था फायदा
वैसे तो एक्सपोर्ट मार्केट में ड्राई फिश (सूखी मछली) की खूब डिमांड रहती है लेकिन एक वक्त था जब भारत की सूखी मछली खरीदने को कोई तैयार नहीं होता था. क्योंकि देश में मछली सुखाने के तौर-तरीके बहुत ही पुराने थे और एक्सपोर्ट के मानकों पर खरे नहीं उतरते थे. इसके चलते मछली बाजार में डिमांड के बावजूद भारत को फायदा नहीं होता था. हालांकि अब मछली सुखाने के तरीके में बदलावा आया है. यही वजह है कि एक्सपोर्ट 5.5 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. सीफेट के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी का कहा है कि समुद्र के किनारे रेत पर और नदी के किनारे भी खुले में छोटी-छोटी मछलियां को खुखाई जाती हैं. जबकि ये बहुत ही पुराना तरीका है. दिक्कत ये भी है कि इसमें साफ-सफाई का कोई ख्याल भी रखना संभव नहीं हो पाता था. मछलियों पर धूल-मिट्टी आने के साथ ही मक्खियां भी बैठती हैं. जबकि अक्सर मक्खियां इस पर अंडे भी दे देती हैं और इससे बीमारियों फैलती हैं. जबकि मौसम खराब होने पर मछलियों को सुखाने में दिक्कत आती है.

क्या है सोलर टेंट ड्रायर
उन्होंने आगे बताया कि हमने मछलियां को सुखाने के लिए एक सोलर टेंट ड्रायर बनाया है. जिसमें किसी भी तरह की मशीन की जरूरत नहीं होती है. यह सामान्य चीजों से ही बनाया गया है. हालांकि बनाने के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल किया जाना चाहिए. डॉ. अरमान कहते हैं कि सोलर टेंट के एक हिस्से को पारदर्शी रखने की जरूरत है. ताकि धूप पूरी तरह टेंट के अंदर जा सके. टेंट के अंदर का हिस्सा पूरी तरह से काले रंग का होना चाहिए. काला रंग धूप की गर्मी अंदर की ओर खींच लेता है. जिससे टेंट के अंदर गर्मी ज्यादा बढ़ती है. इसमें हवा भी गर्म हो जाती है. ऐसा होने पर मछली सूखने में आसानी होती है. टेंट के अंदर मछलियों को रखने के लिए चार सेल्फ बनी है. इन सभी सेल्फ में मछली रखी जा सकती हैं. सेल्फ जाली की है. जिससे कभी-कभी मछली में से पानी टपकता है तो वो जाली के पार हो जाता है. टेंट की ऊंचाई एक सामान्य इंसान को ख्याल में रखते हुए ही रखी गई है.

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