नई दिल्ली. ज्यादा गर्मी की वजह से ज्यादा दूध (Milk Production) देने वाली संकर गायों में सांस लेने की गति बढ़ने लगती है. क्योंकि उनके अंदर ज्यादा टेंपरेचर सहने की ताकत नहीं होती है. जबकि कम दूध देने वाले पशुओं में अधिक तापमान सहने की क्षमता होती है. भारत सरकार के कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (Ministry of Agriculture Cooperation and Farmers Welfare, Government of India) की मानें तो ज्यादा दूध उत्पादन करने वाली गायों में चयापचय दर और हीट उत्पादन भी अधिक होता है. इसी प्रकार सूखे पदार्थों की कम खपत भी दूध उत्पादन में कमी लाती है.
धूप उत्पादन के लिए क्या करना है जानें यहां
धूप से सीधे बचाव के लिए साधारण शेड का प्रयोग किया जा सकता है.
शेड के आसपास पेड़-पौधे लगाकर इसे और भी अधिक ठंडा एवं प्रभावशाली बनाया जा सकता है.
शेड के कारण डेयरी पशुओं का शारीरिक तापमान एवं सांस दर सामान्य बनी रहती है.
कम तापमान पर तेजी से चलने वाली हवा के कारण पशुओं के शरीर से ऊष्मा अधिक तीव्रता से निकलती है.
यदि पशुओं के सर एवं गर्दन को ठंडा रखा जाए तो ये ज्यादा धारा ग्रहण करते हैं जिससे दुग्ध-उत्पादन बढ़ जाता है.
अगर पशुओं को रात के समय चरने दिया जाए तो इन्हें सूरज की गर्मी से बचाया जा सकता है. इससे भी दूध उत्पादन बढ़ता है.
इससे न केवल सामान्य ताप एवं श्वसन दर बनी रहती है अपितु पशुओं के भार में वृद्धि के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि सावधानीपूर्वक डेयरी पशुपालन प्रबंधन किया जाएं तो अधिक दूध देने वाले पशुओं को ज्यादा दूध उत्पादन स्तर पर भी गर्मी के कारण होने वाले तनाव से निजात दिलाई जा सकती है. विशेष प्रकार के फव्वारे तथा पंखे चलाकर पशुओं को गर्मी से बचाया जा सकता है.