Animal: डेयरी पशुओं को बारिश में होता है इन पांच बीमारियों का खतरा, यहां पढ़ें लक्षण और इलाज भी

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. बारिश का सीजन है. इस दौरान पशुओं कई बीमारियों का खतरा रहता है. बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fisheries Resources) की ओर से बारिश के मौसम में होने वाली कई बीमारियों के बारे में पशुपालकों को आगाह किया गया है. ताकि पशुपालक अपने पशुओं को बीमारियों से बचा सकें. उन्हीं बीमारियों में पांच बीमारियों के बारे में यहां आपको लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) जानकारी देने जा रहा है. जो हर पशुपालक को जाननी चाहिए, ये जानकारियां बेहद ही अहम हैं.

इस आर्टिकल में न सिर्फ हम बीमारियों के बारे में बताएंगे, बल्कि बीमाारी के लक्षण और इसे कैसे रोका जाए, इस बारे में भी जानकारी देंगे.

परजीवी रोग (Worm Infestation & Ectoparasites)

कारणः बरसात में कीड़े, जूं, मच्छर व मक्खियों के कारण.

लक्षणः कमजोरी, खून की कमी, वजन घटना, दूध कम होना.

प्रबंधनः समय-समय पर कृमिनाशक दवा दें. नीम का धुआँ स्प्रे करें. त्वचा पर परजीवी -नाशक दवा का प्रयोग करें.

पैरों की सड़न (Foot Rot)

कारणः गीली मिट्टी और कीचड़ में रहने से पैरों की सड़न जाती है.

लक्षणः पैर में सूजन, दुर्गंध, लंगड़ाना.

प्रबंधनः पशु को कीचड़ में खड़ा न रहने दें. पोटाशियम परमँगनेट या फिटकरी वाले गुनगुने पानी से खुर धोएँ. पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार समय पर दवा लगाएं.

गलाघोंटू (Haemorrhagic Septicaemia – HS)

कारणः यह बैक्टीरिया जनित रोग है.

लक्षणः गले और गर्दन में सूजन, तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई, अचानक मृत्यु.

प्रबंधनः बरसात से पहले टीकाकरण करवाएँ। बीमार पशु को अलग रखें। सूखी व साफ जगह पर रखें.

दस्त (Diarrhea)

कारण: गंदा या दूषित पानी-चारा, फफूंद लगे चारे के सेवन से.

लक्षणः पतला मल, कमजोरी, निर्जलीकरण.

प्रबंधनः पशु को स्वच्छ पानी दें. दस्त रोकने की दवा और इलेक्ट्रोलाइट दें. फफूंद लगा चारा तुरंत हटा दें.

थनैला (Mastitis)

कारणः गंदे और गीले वातावरण में बैक्टीरिया संक्रमण से.

लक्षणः थनों में सूजन, दर्द, दूध का रंग बदलना, बुखार, भूख में कमी आदि.

प्रबंधनः दूध दुहने से पहले थन धोकर पोंछें. बीमार पशु का दूध बाकी दूध में न मिलाएं. समय पर पशु-चिकित्सक की सलाह लें.

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