राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार: इस तारीख तक कर दें आवेदन नहीं तो चूक जाएंगे पुरस्कार से

Animal Fodder, pashudhan beema yojana, uttar pradesh raajy raashtreey pashudhan mishan,

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल के माध्यम से राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान करने के लिए ऑनलाइन नामांकन मांगे गए हैं. इच्छुक किसान पशुपालक 31 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं. अंतिम तारीख में महज सात दिन बचे हैं, ऐसे में जो भी इच्छुक किसान इसके लिए आवेदन करना चाहता है वो आवेदन कर सकता है. अगर, आवेदन नहीं किया तो एक बड़ा मौका खो सकते हैं.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के तहत दूध उत्पादक किसानों, डेरी सहकारी समितियों, एफपीओ व कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (एआईटी) को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान करने की योजना है. इसमें पंजीकृत स्वदेशी मवेशी, मुर्रा भैंस नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान, सर्वश्रेष्ठ डेरी सहकारी समितियां (डीसीएस), दूध उत्पादक कंपनी (एमपीसी), डेयरी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) व सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) को शामिल किया गया है। 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर ये पुरस्कार दिए जाएंगे. इसमें पहले स्थान के लिए पांच लाख रुपये, दूसरे स्थान के लिए तीन लाख रुपये व तीसरे स्थान के लिए दो लाख रुपये नकद दिए जाएंगे।

आवेदन में बचे हैं महज सात दिन
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकन 15 जुलाई से शुरू हो चुके हैं. नामांकन की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2024 है. नामांकन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्रस्तुत किया जा सकता है. ये पुरस्कार 26 नवंबर को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर प्रदान किए जाएंगे. राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार हर साल दूध उत्पादक किसानों, डेयरी सहकारी समितियों, दूध उत्पादक कंपनियों, डेयरी किसान उत्पादक संगठनों और कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया जाता है.

ये इस पुरस्कार का मकसद
पशुपालन विभाग की मानें तो मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के प्रभावी विकास के लिए अथक प्रयास कर रहा है, ताकि किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान की जा सके. भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लें बहुत अच्छी हैं और उनमें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आनुवंशिक क्षमता मौजूद है. स्वदेशी गोजातीय नस्लों का वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण और विकास करने के उद्देश्य से देश में पहली बार दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) की शुरुआत की गई थी.

Exit mobile version