नई दिल्ली. दूध उत्पादन के लिए पशुपालक भैंसों को पालता है. भैंस दूध ज्यादा दे इसलिए किसान अच्छी नस्ल की भैंस को पालना पसंद करते हैं. डेयरी में पशुपालक की शेड में कोई ऐसी नस्ल की भैंस हो जो कम चारा खाकर और विपरीत परिस्थिति में भी जबरदस्त दूध दें तो ये सोने पर सुहागा कहलाएगा. डेयरी पशुओं की देखभाल बहुत ज्यादा करनी होती है. ऐसे में उन पर लागत भी काफी आती है. अगर उनकी देखरेख अच्छे से नहीं होगी तो पशुओं से दूध भी घट जाता है. वैसे तो देश में कई नस्लें हैं, लेकिन आज हम एक ऐसी नस्ल की भैंस की बात कर रहें जो अपनी अलग खूबी की वजह से डेयरी के धंधे में काफी मशहूर है. ये भैंस है गुजरात की सुरती भैंस. आइये इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं इस भैंस की खूबियां क्या क्या हैं.
सुरती नस्ल की भैंस गुजरात में पाई जाने वाली भैंस है. इस भैंस की यूं तो कई खूबियां हैं लेकिन डेयरी किसानों के लिए ये बहुत ही उम्दा नस्ल है. खासकर उन इलाकों के किसानों के लिए जहां पर पशुओं के लिए परिस्थिति विपरीत होती है. जैसे बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है या फिर बहुत ज्यादा गर्म मौसम रहता हो. सुरती भैंस इन मौसमों में अपने आप को अच्छे से एडजस्ट कर लेती है.
यहां पाई जाती है ये भैंस: गुजरात की भैंस मुख्य रूप से दक्षिण पश्चिम गुजरात में पाई जाती है. ये भरूच, सूरत, खेड़ा, वडोदरा जिलों में पाई जाती है. सुरती भैंस हल्के शरीर और कम वजन वाली भैंस होती है. सुरती भैंस की ये नस्ल बहुत कम चारा खाती हैं. ये कम संसाधन, विपरीत परस्थिति में भी रहने के अनुकूल मानी जाती है. सुरती नस्ल गरीब, लघु और छोटे किसानों की बेहद अच्छी नस्ल मानी जाती है.
ऐसा होता है इस भैंस का रंग: यह धूसर भूरे से हल्के सलेटी रंग में मिलती है. त्वचा का रंग काला व भूरा होता है. ये भैंस मध्यम आकर की होती है. इसका सिर साफ बड़ा और सींगों के बीच में गोल होता है. सींग चपटे और मध्यम आकर के हंसिए के रूप लिए होते है. सींग की नोक हुक बनाती है. लम्बी गर्दन के साथ लम्बा शरीर होता है. सुरती नस्ल की भैंस के सिर हुक के सामान होते है. आंखे लाल रंग गोल मध्यम तथा चमकीली होती है. वहीं गर्दन के नीचे सफ़ेद धारियां पायी जाती हैं.
दूध के मामले में बेहद अच्छी है ये भैंस: इस भैंस के अयन सुविकसित पूर्ण आकर लिए होते हैं. पिछले टखनों के मध्य सुविस्थित होते हैं. थन मध्यम आकार के होते हैं. नर भैंस का वजन लगभग 500 किग्रा होता है. जबकि मादा का 383 किग्रा होता है. पहले गर्भधारण की उम्र 485-970 दिन होती है. पहली ब्यांत उम्र 1,050-1770 दिन, दुग्ध उत्पादन 1,208-2,203 किग्रा, दुग्ध स्रवण काल 280-373 दिन होता है. इस भैंस के दूध की अगर बात करें तो एक दिन में कम से कम दस लीटर दूध तक ले सकते हैं. अगर इस भैंस को अच्छा आहार दिया जाए तो दूध की क्षमता में अच्छी ग्रोथ ली जा सकती है.