नई दिल्ली. गायों को पालकर पशुपालक उनसे दूध और घी बेचकर अपनी आमदनी करते हैं. वहीं गायों के गोबर और मूत्र से भी अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं. सरकार भी पशुपालन को बढ़ावा दे रही है ताकि किसानों की आय को बढ़ाया जा सके. वहीं किसान भी पशुपालन में नजर आ रहे फायदों की भुनाने के लिए इसमें हाथ आजमा रहे हैं. पशुपालन में किसान अगर गाय और भैंस पालते हैं तो इसमें उनकी सोच होती है कि ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन हो लेकिन अगर पशु कम दूध उत्पादन करता है तो फिर पशुपालन में उतना फायदा नहीं होता जितना होना चाहिए. आइये आज बात करते हैं दूध उत्पादन में गाय की एक ऐसी नस्ल की, जो हरियाणा में बहुत फेमस है.
गायों की वैसे तो कई नस्लें आजकल पशुपालन में पाली जाती हैं. पशुपालक गायों को दूध के लिए पाल रहे हैं. गाय की ये नस्ल मेवाती है, जो कि मेवात क्षेत्र में पाई जाती है. ये मेवाती गाय मेवाती राजस्थान के अलवर, भरतपुर जिले, हरियाणा का मेवात क्षेत्र उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले पाई जाती हैं.
ये है मेवाती गाय की पहचान और विशेषता: मेवाती गाय का मध्यम आकार का शरीर होता है. सफेद ग्रे कोट होता है, वहीं इसका माथ चपटा होता है. इस नस्ल की गाय के कान क्षैतिज होते हैं. इन गायों के मध्यम आकार के नुकीले सींग होते हैं. गले के नीचे लटकी हुई झालर ज्यादा ढीली नहीं होती है. शरीर की खाल ढीली होती है, लेकिन लटकी हुई नहीं होती है. पूंछ लंबी, सख्त और लगभग ऐड़ी तक होती है. गाय के थन पूरी तरह विकसित होते हैं. मेवाती गाय दूध उत्पादन और भार ढोने के लिए अच्छी मानी जाती है.
एक ब्यांत में एक हजार लीटर तक देती हैं दूध: वैसे तो गाय की कीमत दूध से तय होती है. मेवाती गाय की कीमत चालीस हजार रुपये तक हो सकती है. ये गाय दूध और वजन ढोने के लिए जानी जाती है. मेवाती गाय का वजन करीब साढ़े तीन सौ किलोग्राम तक होता है. एक मेवाती गाय ब्यांत में करीब आठ सौ हजार लीटर दूध तक देती है. वहीं रोजाना के दूध की बात करें तो करीब पांच से आठ लीटर तक दे देती हैं. अगर इन गायों को अच्छी खुराक दी जाए तो इनका दूध और बढ़ाया जा सकता है. इन गायों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है. इस कारण ये पशुपालन में कम खर्च कराती हैं.