Dairy News: एनडीडीबी चेयरमैन बोले-भारत में मीथेन गैस पर कंट्रोल करने के लिए की गईं हैं ये दो पहल

चर्चा में बोलते हुए नडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह

नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के 2025 वैश्विक सम्मेलन में लगातार पशुधन परिवर्तन को बढ़ावा देने, परिवर्तन को बढ़ाने, इनोवेशन को आगे बढ़ाने, समाधानों को आगे बढ़ाने पर रोम (इटली) स्थित एफएओ मुख्यालय में सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह ने ‘पशुधन मूल्य श्रृंखला में नवाचार को खोलना’ विषय पर अपनी बात रखी. इस अहम चर्चा के दौरान एनडीडीबी के अध्यक्ष ने कहा कि जहां भारत दूध उत्पादन में अग्रणी है, तो वहीं देश में लगभग 300 मिलियन की सबसे बड़ी मवेशी और भैंस आबादी भी है, जिससे मीथेन उत्सर्जन को कम करने में गंभीर चुनौतियां आती हैं.

उन्होंने कि इस समस्या के समाधान के लिए, दो प्रमुख नवाचारों को बेहतरीन सफलता के साथ लागू किया गया है. पहला है राशन संतुलन कार्यक्रम, जिसके माध्यम से क्षेत्रीय आहार सामग्री का पोषण प्रोफ़ाइल के लिए विश्लेषण किया गया और उसे डिजिटल किया गया, जिससे पोर्टल और ‘1962 किसान ऐप’ का विकास हुआ. यह किसानों को कम से कम लागत में संतुलित राशन तैयार करने में सक्षम बनाता है, जिससे मवेशियों और भैंसों में मीथेन उत्सर्जन में 14-15% की कमी आती है.

बायोगैस प्लांट का क्या है फायदा
डॉ. शाह ने आगे खाद प्रबंधन और बायोगैस पहलों का भी जिक्र किया, जहां तीन से चार मवेशियों वाले किसानों को 2 घन मीटर क्षमता के छोटे बैकयार्ड बायोगैस प्लांट दिए जा रहे हैं.

इससे घर का खाना पकाने के लिए पर्याप्त स्वच्छ ऊर्जा प्रदान की जाती है. जबकि घोल को जैविक खाद में परिवर्तित किया जाता है.

जिससे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 25-30% की कमी आती है. उन्होंने कहा कि ऐसे 35 हजार से अधिक प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं.

एक अन्य मॉडल 4000 घन मीटर क्षमता तक की केंद्रीकृत बड़े पैमाने की बायोगैस इकाइयां हैं जो वाहनों के लिए संपीड़ित बायोगैस या डेयरी प्रोसेसिंग के लिए तापीय और विद्युत ऊर्जा हेतु बायोगैस उत्पन्न करती हैं.

ये इनोवेशन न सिर्फ मीथेन उत्सर्जन को कम करते हैं बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा, जैविक उर्वरक और एक वृत्ताकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण भी करते हैं, जो पूरे भारत में अनुकरण की अपार संभावनाएं प्रदान करती है.

निष्कर्ष
एनडीडीबी की खाद और बायोगैस पहल के अलावा, उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने की पहलों जैसे स्वदेशी लिंग-सॉर्टेड वीर्य तकनीक GAUSORT का विकास, मवेशियों के लिए “गौ चिप” और भैंसों के लिए “महिष चिप” नामक एकीकृत जीनोमिक चिप और पशुधन प्रबंधन के लिए किसान-केंद्रित प्रणाली बनाने की रूपरेखा, राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (एनडीएलएम) को भी साझा किया.

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