Poultry Farming : जानिए घर पर कैसे कर सकते हैं फार्मिंग, मुर्गियों की ये नस्ल कर देगी मालामाल

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. मुर्गी पालन में ही रोजगार की बहुत अधिक संभावनाएं हैं. अगर ठीक से आपने मुर्गी पालन कर लिया तो ये बिजनेस भी आपको मालामाल कर देगा. इतना ही नहीं मुर्गी पालन के लिए जरूरी नहीं है कि आप बड़ा सा पोल्ट्री फार्म बनाएं. आप अपने घर में भी कम लागात में शानदार तरीके से मुर्गियों को पाल सकते हैं. अगर, आपको यकीन नहीं हो रहा तो नीचे दी गई खबर को पूरा पढ़े और बताए जा रहे टिप्स को फालो करके इस काम को शुरू करें.

मुर्गी पालन ग्रामीण इलाकों में अब रोजगार का एक बेहतरीन जरिया है. खासकर महिलाएं भी इस सेक्टर से जुड़ रही हैं. देश में हर जगह बड़े-बड़े पोल्ट्री फार्म खोले जा रहे हैं. इसमें लोगों को अच्छी खासी इनकम भी हो रही है. मुर्गी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो आसानी के साथ घर पर ही किया जा सकता है और मुर्गी पालन में बेहद कम लागत आती है. इस वजह से बहुत से परिवार मुर्गी पालन में हाथ आजमा रहे हैं.

मुर्गी से मिलता है मांस और अंडा: मुर्गी पालन का नाम आते ही लोगों के जहन में आने लगता है कि इसके लिए पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत होगी. इतना पैसा लगाने के बाद भी बिजनेस चला या नहीं. पैसा कहीं डूब न जाए. मगर, शुरूआत में कम लागत में मुर्गी फार्म को शुरू करेंगे तो कम रिस्क रहेगा. अगर आपके पास थोड़ा बड़ा सा घर है तो मुर्गी पालन घर के अंदर भी किया जा सकता है. ज्‍यादातर गांवों में मुर्गीपालन घरों में ही किया जा रहा है. मुर्गी पालक उनसे मांस और अंडे बेचकर फायदा कमाते हैं.

ऐसे बनाएं घर बैठे शेड: मुर्गी का घर बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर मिलने वाली सामग्री जैसे बांस का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी दिशा पूर्व पश्चिम के की ओर रखी जानी चाहिए. मुर्गियों के रहने वाले घर के फर्श को घर के फर्श से 1 फीट ऊंचा बनना चाहिए. ताकि बीट नीचे जमा हो जाए और इसके बैठने की जगह में जल जमा न हो सके. साथ ही जमा हुई बीट का इस्तेमाल खाद के लिए कर सकते हैं. मुर्गी घर के निर्माण में बहुत अधिक खर्च नहीं करना चाहिए. यह ध्यान रहे कि घर मजबूत और आरामदायक हो साथ ही इसमें मुर्गियां सुरक्षित रह सके.

इस नस्ल की मुर्गी देती है ज्यादा अंडे: वैसे तो सभी मुर्गी अंडे होती हैं हालांकि कुछ मुर्गियां मांस में अच्छी होती हैं. अंडा देने में रेनबो रोस्‍टर नस्‍ल को सबसे बेहतर माना जाता है. इतना ही नहीं ये मुर्गी मांस के लिए वजन में भी अच्छी होती है. रेनबो रोस्‍टर में एक व्‍यस्‍क मुर्गी का वजन 2.4 से 2.6 किलोग्राम तक होता है. यह हर साल औसतन 120 अंडों किसी लोकल मुर्गी की तुलना में यह काफी ज्‍यादा परिपक्‍व होती है. एक स्थानीय मुर्गी के शरीर का वजन 1.2 से 1.5 किलोग्राम तक ही होता है और हर साल वह बस 50 से 60 अंडे ही दे सकती है.

ऐसे शुरू हुई इस नस्ल की शुरूआत: मुर्गी पालकों की मानें तो कई क्षेत्रों में अधिकांश आदिवासी परिवारों की तरफ से स्थाई आय के लिए घर के आंगन में मुर्गी पालन एक बिजनेस के तौर पर देखा जाता है. वहीं ज्‍यादातर किसान देसी नस्लों को पालने में यकीन करते हैं. ये नस्‍लें अंडें और मांस के उत्पादन में कमजोर होती हैं. इस बात को ध्‍यान में रखते हुए कि किसानों की आय में इजाफा हो, उन्नत नस्ल की शुरुआत की गई. रेनबो रोस्‍टर स्थानीय मुर्गीपालन की तुलना में ज्‍यादा उत्पादन दिया. छह महीने के बाद वयस्क मुर्गी का वजन 1.5 किलोग्राम हो गया. वहीं एक वनराज मुर्गी हर साल औसतन 150 अंडों का उत्‍पादन कर पाई. जबकि स्थानीय नस्ल में हर साल 60 अंडों का ही उत्‍पादन होता है.

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