Poultry Farming: पोल्ट्री सेक्टर में मक्का कमी को पूरा करने के लिए इस संगठन ने सरकार से की ये मांग

सरकार को भेजा गया पत्र.

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों के खाने में सबसे ज्यादा मक्का का इस्तेमाल होता है. क्योंकि मक्का में ऐसे कई गुण होते हैं जिसकी वजह से मुर्गियों को उत्पादन करने में आसानी होती है. हालांकि हमेशा से ही मक्का की कमी पोल्ट्री सेक्टर को रही है. इसकी वजह अलग—अलग भी रही है. जैसे इस बार मक्का की खराब क्वालिटी के कारण मक्का सेक्टर के सामने संकट गहरा गया है. जिसको देखते हुए ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन आगे आया है और सरकार से इस समस्या से निकालने की मांग की है.

संकट को देखते हुए ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह को एक पत्र लिखा है. एसोसिएशन ने अपने पत्र में एफसीआई द्वारा इथेनॉल उत्पादन के लिए आरक्षित 20 लाख मीट्रिक टन चावल को पोल्ट्री सेक्टर को देने की अपील की है, ताकि पोल्ट्री बर्ड के सामने खड़ा हुआ संकट खत्म हो जाए. हालांकि इस मांग को मान लिया गया है या नहीं इसपर स्थिति साफ नहीं है.

पत्र में एसोसिएशन ने क्या कहा
गौरतलब है कि देश के कई मक्का उत्पादक क्षेत्रों में इन दिनों भारी बारिश की वजह से बाजार में उपलब्ध मक्का की गुणवत्ता काफी खराब हो गई है.

मक्का टॉक्सिन से प्रभावित है और पोल्ट्री फीड के लिए सही नहीं है. इसके चलते देशभर के पोल्ट्री किसान और इंटीग्रेटर्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

पत्र में कहा गया है कि पोल्ट्री फीड में मक्का के विकल्प के रूप में एफसीआई का चावल एक अस्थायी लेकिन अहम विकल्प है. इसलिए चावल पोल्ट्री सेक्टर को दिया जाए.

जान लें कि बाजार में केवल एथेनॉल और स्टार्च प्रोसेसिंग के लिए उपयुक्त मक्का ही उपलब्ध है, जिसकी कीमत 22 से 25 रुपए प्रति किलो तक हो गई है.

एसोसिएशन के चेयरमैन बहादुर अली ने का कहना है कि मंत्री से अपील की गई है कि जल्द पोल्ट्री सेक्टर हक में फैसला लें, ताकि समस्या दूर हो सके.

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