नई दिल्ली. राजस्थान सरकार ने राज्य में गोवंशो की सुरक्षा के लिए एक अहम फैसला लिया है. अब अगर गोशाला ने बिना किसी कारण गौवंश को सुरक्षा नहीं दी तो फिर इसकी शिकायत डीएम से की जा सकेगी, ताकि जिम्मेदारी तय हो और कारवाई की जा सके. असल में गोपालन विभाग डायरेक्टर पंकज ओझा ने राजस्थान के सभी एसपी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि गौ तस्करी की प्रभावी रोकथाम और वध से बचाए गए गोवंश की गोपालन निदेशालय को समय पर सूचना दें. साथ ही गो तस्करी और गोवध को रोकने के लिए विभाग द्वारा उचित कार्रवाई की जाए साथ ही हाईवे पर पेट्रोलिंग बढ़ाकर गौवंश की अवैध तस्करी को भी रोका जाए.
गौरतलब है कि गो संरक्षण और संवर्धन निधि नियम 2016 और राजस्थान गोवंशीय पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवृजन निर्यात का विनियमन) अधिनियम 1995 के अनुसार सुरक्षा में लिए गए गोवंशीय पशुओं की सुरक्षा के लिए उन्हें राजस्थान गौशाला अधिनियम 1960 के तहत पंजीकृत गौशाला या फिर कांजी हाउस के सुपुर्द किए जाने का नियम है, जब तक कि मामले का अंतिम निपटारा न हो जाए.
गोपालन निदेशालय ने दिया निर्देश
बताते चलें कि वध से बचाए गए गौवंश की देखभाल के लिए गौशालाओं को राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है.
कत्ल से बचाए गए गौवंश की सूचना निर्धारित पत्र में हर महीने की पांच तारीख को निदेशालय गोपालन को भेजने का आग्रह करते हुए ओझा ने लिखा है कि सूचना के साथ एफआईआर की कॉपी भी जरूरी तौर पर अटैच होनी चाहिए.
इसकी एक कॉपी जिलाधिकारी कार्यालय को भी भिजवाई जानी चाहिए. ओझा ने कहा है कि वध से बचाए गए गौवंश को संरक्षण के लिए संबंधित थाना क्षेत्र की गौशाला अथवा किसी निकटवर्ती गौशाला में रखा जाना चाहिए.
अगर कोई गौशाला बिना किसी कारण गौवंश को सुरक्षा देने से मना करता है तो यह प्रकरण जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाना चाहिए, जिससे उस गौशाला के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सके.
सरकार के विस्तृत दिशा निर्देशो की पालना और की गयी कार्यवाही की सूचना समय पर निदेशालय को देने के लिए डायरेक्टर ओझा की ओर से प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को यह पत्र लिखा गया है.
निष्कर्ष
राजस्थान के गोपालन निदेशालय की ओर से गोवंशों की सुरक्षा तय करने के लिए निर्देश दिया है, ताकि जिम्मेदारी तय हो सके और कोई लापरवाही न कर सके.