Animal Husbandry: पढ़ें पशुपालन में पानी की अहमियत, जानें हैल्दी पशुओं को कितना पिलाना चाहिए पानी

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प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. डेयरी के लिए पाले जा रहे पशुओं के लिए पानी बहुत ही जरूरी तत्व होता है. पशुओं को हर मौसम में भरपूर मात्रा में साफ पानी मिलना चाहिए. इससे उनका प्रोडक्शन और बेहतर हो जाएगा. जबकि पानी की कमी होने से दिक्कतें हो सकती हैं. बात अगर गाय की जाए तो गायें गर्म खून वाली होती हैं, इसलिए उन्हें शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी देना चाहिए. ऐसा करने से गाय का पसीना बहता है और उन्हें सांस लेने में आसानी होती है. वहीं पानी, भोजन को पोषक तत्वों में तोड़ने में मदद करता है. ये पोषक तत्व खून के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचते हैं.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग हरियाणा सरकार की गाइडलाइंस को पढ़ें तो पता चलेगा कि दूध में 87 फीसदी तक पानी होता है. इसलिए, डेयरी पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी देना जरूरी होता है. वहीं अगर पशु एक लीटर दूध देता है तो उसे 3 लीटर पानी जरूरत होती है. इस हिसाब से पशुओं की दूध देने की क्षमता के मुताबिक उनके शरीर को पानी की जरूरत का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं.

पानी की क्यों है जरूरत यहां पढ़ें
पशु आहार और चारे को पचाने के लिए पानी की जरूरत होती है.

पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने के लिए भी पानी की जरूरत होती है.

पेशाब के जरिए जहरीले (Toxic) तत्त्वों को निकालने के लिए भरपूर पानी पशुओं के शरीर में होना चाहिए.

शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए लिए भी पानी जरूरी है.

आम तौर पर एक स्वस्थ वयस्क पशु एक दिन में लगभग 75 से 80 लीटर तक पानी पीता है. चूंकि दूध में 87 प्रतिशत पानी होता है.

इन सुझावों को भी पढ़ें
पशु को पीने के लिए स्वच्छ पानी, 24 घंटे छांव में नांद के साथ ही उपलब्ध रहना चाहिए.

गर्मी के दौरान भैंस तथा संकर पशुओं को दो बार नहलाना चाहिए.

पशुओं का शेड खुला व हवादार होना चाहिए तथा शेड की छत ऊंची होनी चाहिए.

अगर शेड की छत टीन की बनी है तो उस पर पराली आदि की परत डाल देनी चाहिए ताकि शैड के अन्दर का तापमान कम रहे.

पशुओं के शेड में पंखे व कूलर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

पशुओं के शेड की दिशा पूर्व से पश्चिम की तरफ होनी चाहिए.

पशु शेड के बाहर खुले में केवल घने छायादार पेड़ के नीचे ही बांधे.

पशुओं के पीने के लिए हर समय सामान्य तापमान या थोड़ा ठंड़ा पानी उपलब्ध होना चाहिए.

गर्मियों में हरे चारे की कमी रहती है. इसलिए इसकी उपलब्ध सुनिश्चित कर लेनी चाहिए तथा हरे चारे का संरक्षण कर साईलेज का प्रयोग भी किया जा सकता है.

पशुओं को आहार सुबह जल्दी तथा शाम को या रात को देना चाहिए.

पशुओं को संतुलित व पौष्टिक आहार देना चाहिए और आहार में खनिज मिश्रण का प्रयोग जरूर करें. यदि किसी पशु को सर्दी या लू लग जाए तो पशुपालक तुरन्त नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

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