Dairy: इस डेयरी प्लांट में हर रोज बनेगा 30 टन पनीर और 45 टन मट्ठा पाउडर, जानें कहां बन रहा है

sabar dairy plant

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. साबरकांठा जिले के गलौढ़ में साबर डेरी प्लांट के निकट 600 करोड़ की लागत निर्मित होने वाले 30 मैट्रिक क्षमता वाला चीज प्लांट है. यहां एक और प्लांट का उ्दघाटन किया गया है. जिसके चलते अब हर रोज 30 तक पनीर और 45 टन मट्ठा पाउडर तैयार किया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमूल स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान इसने यूनिट का उद्घाटन किया है. अब गुजरात के लोगों को बेहतरीन क्वालिटी का पनीर और मट्ठा उपलब्ध हो सकेगा. इस मौके पर प्रधानमंत्री के अलावा राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मंत्री पुरषोत्तम रूपाला मौजूद रहे.

बहुत ही आधुनिक है ये प्लांट
गौरतलब है कि 45 मीट्रिक टन मट्ठा पाउडर और अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों का उत्पादन करने की सुविधा के साथ साबरकांठा मिल्क यूनियन का 30 मीट्रिक टन पनीर संयंत्र अत्याधुनिक आधुनिक संयंत्रों में से एक है. इस प्लांट की आधारशिला भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों ही रखी गई थी. यह प्लांट भारत सरकार की डीआईडीएफ योजना के तहत कुल 600 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है. जबकि एनडीडीबी इस प्रयास में भी भागीदार है और उसने इस संयंत्र का निर्माण किया है. वहीं भारत सरकार से ब्याज सहायता के साथ 480 करोड़ रुपये की मदद की है.

साबर डेयरी से जुड़े हैं लाखों पशुपालक
प्रधानमंत्री ने इसके अलावा साबरकांठा दुग्ध संघ का अत्याधुनिक 30 एमटीपीडी आधुनिक पनीर संयंत्र और 45 एमटीपीडी मट्ठा पाउडर विनिर्माण संयंत्र, कैरा दुग्ध संघ का स्वचालित यूएचटी प्लांट, कच्छ दुग्ध संघ का स्वचालित आइसक्रीम प्लांट, भरूच दुग्ध संघ का डेयरी प्रसंस्करण संयंत्र, नवी मुंबई, राजकोट दुग्ध संघ की डेयरी विकास परियोजना की भी शुरुआत की. बताते चलें कि साबर डेयरी यहां 58 साल से चल रही है. साल वर्ष 2001-02 में डेयरी के साथ 2,50,000 पशुपालक जुड़े हुए जबकि अब ये संख्या 3,85,000 तक पहुंच गई है. इस डेयरी का वार्षिक टर्नओवर वर्ष 2001-02 में 351 करोड़ रुपए था लेकिन अब 6805 करोड़ रुपये हो गया है. हाल में यहां दैनिक 33 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण किया जाता है.

Exit mobile version