Snake Bite: जानें कितना घातक है किंग कोबरा का जहर

कोबरा एक दंश में कुल 150-350 मिलीग्राम विष शरीर में छोड़ता है

किंग कोबरा का प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली. सांप काटने की घटनाएं इन ​दिनों बढ़ जाती हैं. जमीन खाली होने पर सांपों को छिपने के लिए कोई जगह नहीं मिलती है. सांप या इस तरह के अन्य जानवर के शरीर का टेंपरेचर समान नहीं रहता है. इसलिए वे बेचैन हो जाते हैं और हमलावर हो जाते हैं. देश में सांपों द्वारा हर साल 35000-50000 लोगों की जान जाती है. विश्वभर में सांपों की कुल लगभग 3700 प्रजातियां पाई जाती हैं. मात्र 15 प्रतिशत ही जानलेवा
होती हैं. वहीं भारत में अकेले 275 प्रजातियों में 181 विषहीन और 94 विषैली होती हैं. सांपों की इन 94 विषैली प्रजातियों में 34 का विष प्रभावहीन होता है. जबकि 20 समुद्री और शेष 36 प्रजातियां मनुष्यों के लिए जानलेवा होती हैं. भारत में कोबरा, करैत, रसेल वाइपर एवं सॉ-स्केल वाइपर नामक 4 प्रजातियों सर्पदंश सबसे ज्यादा होता है. सांप के काटने पर जहर इंजेक्ट नहीं होता है. लेकिन अगर पीड़ित व्यक्ति के घाव से रिसाव हो रहा है तो हो सकता है कि जगर इंजेक्ट हुआ हो.

दिन की भीषण गर्मी होने से सांप बिलों से बाहर नहीं निकलते हैं. लेकिन रात में भोजन की तलाश में निकलते हैं. इस दौरान वह बेचैन रहते हैं. अगर इनको डिस्टर्ब किया जाए तो यह हमला कर सकते हैं. आइये जानते हैं कि किंग कोबरा में कितना जहर होता है और सांप के काटने पर क्या करना चाहिए.

किंग कोबरा का जहर: कोबरा और करैत का जहर न्यूरोटॉक्सिक (तंत्रिका तंत्र पर असर करने वाला) तथा रसेल वाइपर (जाड़ा सौंप) और सों-स्केल वाइपर का जहर हीमोटॉक्सिक (रक्त के बहाव पर काम करने वाला) होता है. कोबरा एक दंश में कुल 150-350 मिलीग्राम विष शरीर में छोड़ता है, जबकि केवल 18-45 मिलीग्राम विष भी मनुष्यों के लिए जानलेवा होता है.

सांप के काटने के लक्षण: कोबरा और करैत (न्यूरोटॉक्सिक विष)- काटे गए स्थान पर दांत का स्पष्ट दिखाई न देना, जलन, नीला पड़ जाना, सूजन, झाग के साथ खून का स्राव, उल्टी होना, सिर दर्द, आंख की पुतलियों का झपकना, जोड़ों मे दर्द, निगलने में परेशानी, चक्कर आना और अंत में सांस का बंद हो जाना.

सर्पदंश में क्या न करें.

सर्पदंश में क्या करें

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