नई दिल्ली. मछली पालन या तो तालाब में किया जाता है या फिर टैंक आदि में किया जाता है. हालांकि ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर मछली पालक मछली पालन को तालाब में ही करते हैं और यही परंपरागत तरीका भी है. तालाब में मछली पालन करने के दौरान कई बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो मछली की बाढ़ नहीं हो सकेगी. इससे मछली पलकों को नुकसान भी उठाना पड़ता है. वैसे तो मछली 8 से 10 महीने के अंदर तैयार हो जाती है. बाजार में बिक भी जाती है लेकिन तालाब का सही मैनेजमेंट न होने पर मछली की बाढ़ रुक जाती है.
तालाब में आक्सीजन का होना बेहद जरूरी है. एक तालाब में तीन लेयर पर मछली पलती है. तीनों सतहों पर मछलियों के लिए आक्सीजन पहुंचे ये बहुत जरूरी है. अगर आप भी मछली पालन शुरू करना चाहते हैं और आप किसी पुराने तालाब को मछली पालन योग्य बनाना चाहते हैं, फिर ये खबर आपके काम की है. हम आपको इस खबर में पुराने तालाब को मछली योग्य बनाने के लिए तमाम जानकारी उपलब्ध कराने जा रहे हैं. इस आर्टिकल को गौर से पूरा पढ़ें.
पेड़-पौधों की सफाई करेंः आपके पास पुराना तालाब है तो उसे भी ठीक कराकर मछली पालन योग बन सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले आपको करना ये होगा कि तालाब की साफ-सफाई अच्छे ढंग से करवा दें. तालाब के अंदर कई बड़े पत्थर आदि आ जाते हैं. कई छोटे ईंट वगैरह भी इकट्ठा हो जाते हैं. जो मछली के लिए कतई ठीक नहीं है. इसे निकलवा देना चाहिए. इसके अलावा अनावश्यक पेड़ और पौधों की जड़ आदि की सफाई कर देना चाहिए. अगर आवश्यक हो तो तालाब को भी गहरा करवा देना चाहिए. ये ध्यान रखें कि तालाब की गहराई में इस तरह के पौधे ना हो, जिससे मछली को परेशानी हो.
निकास नाली पर जाली लगवाएंः प्रवेश नाली और विकास नाली की व्यवस्था ठीक करना सबसे बेहतर होगा. जीरो से 2 हेक्टेयर निकास नाली की व्यवस्था करें. निकास नाली बनाने में तालाब में अवावश्यक पानी को बाहर निकाला जा सकता है. हालांकि ध्यान देने वाली बात ये है कि तालाब में बनाई गई निकास नाली में जाली जरूर लगवा दें. ताकि मछली इससे बाहर न जाए. जबकि दूसरे जीव अंदर भी प्रवेश न कर सकें. नहीं तो मछली को नुकसान पहुंचाएंगे और इसका सीधा नुकसान मछली पालक को होगा. बरसात का पानी भी बहकर बाहर ना निकलें इस तरह की व्यवस्था का भी ध्यान रखें.