Fisheries: मछलियों के लिए जहरीला है तालाब में मिलने वाला ये केमिकल, यहां पढ़ें क्या-क्या है नुकसान

Interim Budget 2024

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालक जिस तालाब में मछली को पालते हैं. उसके पानी में कई तरह के रासायनिक गुण होते हैं. ये रासायनिक गुण मछलियों को प्रभावित करती हैं. कुछ रासायनिक गुणों का अच्छा असर पड़ता है जबकि कुछ का गलत असर पड़ता है. पिछले आर्टिकल में हमने आपको कार्बन डाईआक्साइड से लेकर पीएच और कुल क्षारकता के बारे में जानकारी मुहैया कराई थी. इसमें बताया गया कि मछली पर इसका क्या प्रभाव पड़ता हैं. जबकि इस आर्टिकल में हम आपको अमोनिया और नाइट्राइट के बारे में बताने जा रहे हैं.

अमोनिया मछली के नॉन एक्सक्लूडेबल पदार्थों तथा कार्बनिक पदार्थों के डिसाल्यूशन की उत्पाद है. जल में अमोनिया दो रूपों में पायी जाती है. आयोनाइज्ड एंव नॉन आयोनाइज्ड. नॉन आयोनाइज्ड मछली के लिए खतरनाक जहर का काम करता है. जबकि आयोनाइज्ड फायदेमंद होता है. अमोनिया की मात्रा सीधे तौर पीएच 47 तथा तापमान से नियंत्रित होती है. जहरीला आयोनाइज्ड अमोनिया की मात्रा बढ़ते हुए पीएच तथा तापमान के साथ बढ़ती है.

इस वजह से तनाव में रहती हैं मछलियां
तालाब में पाली जाने वाली अधिकांश मछलियां अमोनिया के 0.1 मि.ग्रा./लीटर से अधिक सान्द्रता में तनाव में रहने लगती हैं. मत्स्य पालन परिस्थितिकीय तन्त्र में कुल अमोनिया की सानद्रा, आहार तथा आहार प्रोटीन के क्रम में होती है. तालाबों में पाइथोप्लैंक्टंस प्लवकों के मरने के कारण भी अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है. तालाबों में अमोनिया की मात्रा को सीमित आहार दर, जल के पीएस० को नियंत्रित किया जा सकता है.

नाइट्राइट क्या है
कार्बनिक पदार्थों के प्रोटीन विघटन का एक और उत्पादन भी होता है, जिसे नाइट्राइट कहते हैं. नाइट्राइट कम सान्द्रण (0.1 मि.ग्रा./लीटर) पर भी मछली को तनाव ग्रस्त कर देता है. 0.50 मि.ग्रा. प्रति लीटर के सान्द्रण पर मछली में भूरा रक्त रोग हो जाता है. नाइट्राइट की विषाक्तता दृढ रुप से जल के पीएच, कैल्शियम सान्द्रण तथा क्लोराइड स्तर पर निर्भर करती है. तालाबों में जब घुलित आक्सीजन का स्तर कम होता है. तब नाइट्राइट की विषाक्ता को नियंत्रित करने हेतु सीमित आहार दर, कम आक्सीजन स्तर पर वायु करण करना, उच्च गंणवत्ता के जल का प्रवेश, पीएच 7.0 से अधिक रखना, नमक का प्रयोग इत्यादि उपाय करने चाहिये.

जैविक कारक के बारे में जानें
मत्स्य पालन तन्त्र में प्रयोग होने वाले आहार के काफी पोषक तत्व मुख्य रूप से एक्सक्लूडेबल पदार्थ के रुप में जल में शामिल हो जाते हैं, जो कि पाइथोप्लैंक्टंस के उत्पादन को बढ़ाते हैं. पाइथोप्लैंक्टंस के प्रकाश संश्लेषण द्वारा उत्पादित कार्बनिक पदार्थ, अपशिष्ट पदार्थों के कार्बनिक पदार्थ से अधिक होता है. जीवाणु जन्तु प्लवक तथा अन्य सूक्ष्म जीवों की उपापचय किया भी मछली की तरह ही उच्च होती है. आहार दर बढ़ाने से आहार के अपशिष्ट नाइट्राइट बढ़ जाते है जिससे पादप प्लवकों का उत्पादन भी बढ जाता है. पाइथोप्लैंक्टंस के बढाने के साथ ही प्रकाश तथा प्रकाश संश्लेशन की तीव्रता कम हो जाती है. इन परिवर्तन से जल की गुणवत्ता घटने लगती है जिसे कारण सुबह के समय न्युनतम आक्सीजन की स्थिति पैदा हो जाती है.

Exit mobile version