Dairy Farming : गाय-भैंस दुहते समय आजमाएं ये ट्रिक, दूध उत्पादन में होगी जबरदस्त बढ़ोत्तरी

पशुओं को खनिज मिश्रण (मिनेरल पाउडर) खिलाना चाहिए.

प्रतीकात्मक फोटो। livestockanimalnews

नई दिल्ली. भारत में पशुपालन तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है. जहां तक रही कमाई की बात तो पशुपालन से किसानों को अच्छी खासी कमाई हो रही है. दुधारू पशुओं से दूध निकाल कर खूब कमाई कर रहे हैं. हालांकि सभी किसानों की एक आम समस्या है. वो ये है कि पशुओं में दूध की कमी हो जाती है. क्योंकि पशुपालक कई बार गाय हो या भैंस उसको दुहते समय देरी कर देते हैं. जिसे पशु अपने दूध को कम कर देते हैं. ऐसा न करने पर पशुपालकों को सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुपालक यदि ज्यादा दूध और उत्पादन में कमी नहीं चाहते तो उन्हें दूध दुहते वक्त कई बातों का ख्याल रखना चाहिए. उसमें एक ये है कि पशुपालकों को 5 से 7 मिनट में दूध दुह लेना चाहिए. वरना दूध घट सकता है. जब भी दूध घटता है तो इसका सीध नुकसान पशुपालक को ही होता है. इसलिए जरूरी है कि दूध को वक्त रहते दुह लिया जाए.

5 से 7 मिनट में दुह लें दूध: एक्सपर्ट कहते हैं कि जब गाय पुआसती है तो 1 से 2 मिनट में ऑक्सीटोसिन हार्मोन की सहायता से दूध थनों में आ जाता है. वहीं दूध उतारने में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रवाह केवल 560 मिनट तक रहता है. ऐसे में जल्दी से 5 से 7 में ही सारा दूध निकाल लेना चाहिए नहीं तो दूध ग्रंथि में ही रह जाता है. इसके कारण पशुपलकों को दूध उत्पादन में कमी आ जाती है. इसलिए गए से दूध निकालते समय देरी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा कभी भी गाय या भैंस के बच्चे की मौत हो जाने पर भी पशु दूध देना बंद कर देते है.

शोरगुल नहीं होना चाहिए: दूध दुहते वक्त पशुपालकों को दूध दुहने के समय का भी ध्यान रखना चाहिए. आमतौर बहुत से पशुपालक दूध देने वाली गाय भैंस को दिन में दो बार दुहते हैं. वहीं अधिक दूध उत्पादन करने वाली गाय व भैंस को 24 घंटे में तीन बार दुहना चाहिए. धीरे-धीरे उनके पशु दूध देना कम कर देते हैं. जिससे दूध उत्पादन में कमी होती है. साथ ही दुहते समय शोरगुल भी नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे भी उत्पादन पर असर पड़ता है.

पाउडर और इंजेक्शन न दें: हालांकि कई बार देखा जाता है कि दूध उत्पादन के लिए पशुपालक गलत तरीका भी अपनाते हैं. इसके लिए वह गाय या भैंस को पाउडर और इंजेक्शन देते हैं. ऐसा करने में से पशुओं की सेहत पर काफी प्रभाव पड़ता है. ऐसे में किसान अपने दुधारू पशुओं के साथ इस तरह के प्रयोग करने से बच्चे नहीं तो निकट भविष्य में दूध उत्पादन का हो जाएगा.

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