Veterinary College: पायलट प्रोजेक्ट के तहत बनेगा गोरखपुर में वेटरनरी कॉलेज, मिलेंगी ये सुविधाएं

gorakhpur veterinary college

वेटरनरी कॉलेज के निरीक्षण के दौरान सीएम योगी व अन्य.

नई दिल्ली. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ताल नदोर में बन रहे वेटरनरी कॉलेज (पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय) और यहां प्रस्तावित इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम तथा कान्हा गोशाला को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाए. सरकार की मंशा इस क्षेत्र को विकास का एक नया मॉडल बनाने की है. ये बाते उन्होंने नदोर में बन रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश के पहले पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के निरीक्षण के मौके पर कही. मुख्यमंत्री ने पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय की डिजाइन, लेआउट, मॉडल का अवलोकन कर इसके प्रमुख आयामों के बारे में विस्तार से जानकारी ली. इस दौरान उन्होंने 52 एकड़ में नगर निगम की तरफ से बनाए जाने वाले कान्हा गोशाला को भी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एक दायरे में लाया जाए.

सीएम ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट से हम यहां कुल ढाई-तीन सौ एकड़ क्षेत्रफल में विकास का शानदार मॉडल बना सकेंगे. 52 एकड़ में बनने वाले कान्हा गोशाला का निर्माण सीएनडीएस द्वारा कराया जाएगा. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कार्यों को एक दायरे में लाने पर काम किया जाए. वेटरिनरी कॉलेज के निर्माण की प्रगति के बारे में पूछे जाने पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि प्रथम चरण का निर्माण मार्च 2026 में पूरा करा लिया जाएगा.

गर्मियों में पशुओं के रखने के इंतजाम होंगे
मुख्यमंत्री ने वेटरनरी कॉलेज के लेआउट का अवलोकन करने के दौरान पशुओं (गाय, भैंस, बकरी, घोड़ा आदि) के रखने और उनकी फीड के लेकर की जा रही तैयारियों की जानकारी ली. जानकारी लेने के बाद उन्होंने निर्देशित किया कि पशुओं के चारागाह के लिए पर्याप्त लैंड रिजर्व करने और गौ सरोवर बनाने के लिए भी व्यवस्था की जाए. इसके लिए संरचना में आवश्यक परिवर्तन भी किए जाएं. सीएम योगी ने वेटरिनरी कॉलेज के समीप ही चार एकड़ में बन रहे वृहद गोशाला को भी देखा और निर्देशित किया कि यहां गर्मियों में पशुओं को रखने के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए जाएं.

पहले चरण में खर्च होंगे 277 करोड़ 31 लाख रुपये
बता दें कि गोरखपुर के ताल नदोर में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी वर्ष 3 मार्च को किया था. 80 एकड़ में क्रमवार तीन चरणों मे बन रहे इस महाविद्यालय के निर्माण पर 350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी. पहले चरण के निर्माण पर 277 करोड़ 31 लाख रुपये खर्च होंगे. कार्यदायी संस्था के रूप में लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदार दी गई है. महाविद्यालय के परिसर में एकेडमिक ब्लॉक (भूतल और पांच मंजिल) हॉस्पिटल ब्लॉक, आवासीय ब्लॉक, 430 की क्षमता का पुरुष छात्रावास, 268 की क्षमता का महिला छात्रावास, ऑडिटोरियम, गेस्ट हाउस, कम्युनिटी सेंटर, एसटीपी, किसान भवन के साथ पशु चिकित्सा विज्ञान से जुड़ी विभिन्न विधाओं के शोध अध्ययन केंद्रों की स्थापना की जाएगी। इस महाविद्यालय परिसर को ‘नेट जीरो एनर्जी’ की अवधारणा पर विकसित किया जाएगा.

डिजाइन की गई है महाविद्यालय की ड्राइंग
इस महाविद्यालय में पशुओं के इलाज के साथ नस्ल सुधार के कार्य भी होंगे. इस पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के बन जाने के बाद यहां देशभर के पशु चिकित्सकों की ट्रेनिंग भी होगी. ड्राइंग श्रावस्ती के राजा शालिहोत्र की परिकल्पना पर डिजाइन की गई है. राजा शालिहोत्र ने तीसरी सदी में शालिहोत्र संहिता रचकर पशुधन के क्षेत्र को समृद्ध किया था. भारतीय परंपरा में उन्हें पशु चिकित्सा विज्ञान का जनक माना जाता है. शिलान्यास के दिन मुख्यमंत्री ने ताल नदोर के पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय को विश्वविद्यालय के रूप में अपग्रेड करने का भरोसा दिया था. फिलहाल यह महाविद्यालय, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा से संबद्ध होगा. इसके बन जाने से पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार और पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के पशुपालकों को भी काफी फायदा होगा.

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