Animal Husbandry: डेयरी पशुओं में टीके लगाने की अच्छी प्रक्रिया क्या है? जानें यहां

जाफराबादी भैंस गुजरात के जूनागढ़, भावनगर और अमरेली जिलों में पाई जाती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. पशु पालन वैसे तो बहुत ही फायदे का कारोबार है. इसे करके अच्छी कमाई की जा सकती है. किसानों की आय भी बढ़ रही है. हालांकि रोग दूध उत्पादन में बाधा और गंभीर आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार होता है. एक बार जब पशु बीमार हो जाता है तो खाना-पीना बंद कर देता है. सुस्त लगता है, खुद को अन्य जानवरों से अलग और अंत में दूध देना बंद कर देता है. डेयरी पशु कई बीमारियों से प्रभावित हो जाते हैं. आज हम इस आर्टिकल के जरिए बात कर रहे हैं पशुओं में बीमारियों से बचाव के लिए काम आने वाले टीको के बारे में. टीका लगवाने की प्र​क्रिया क्या है.

पशु पालन सदियों से किया जाने वाला कारोबार है. बहुत से लोग अपने घरों में एक दो पशु पाल लेते हैं, तो बहुत व्यवस्थित ढंग से पशुपालन करते है. आज बहुत से लोग ट्रेनिंग लेकर पशु पालन से जुड़े हैं और यही वजह है कि उनका सालाना टर्नओवर लाखों और करोड़ों में है. पशु में कई तरह की बीमारी लग जाती है.

डेयरी पशुओं में टीके लगाने की अच्छी प्रक्रिया क्या है?

टीकाकरण के उपयोग के लिए अच्छी प्रबंधन प्रक्रियाएं क्या हैं?

यदि टीकाकर्मी बर्फ के पात्र/शीतलक में वैक्सीन नहीं लाता है तो क्या हमें पशुओं को टीका लगाने की अनुमति देनी चाहिए?

पशु एक्सपर्ट का कहना है, कि कभी नहीं, क्योंकि सामान्य परिवेश के तापमान में टीके खराब हो जाते हैं और पशुओं को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ होते हैं.

क्या हमें गांव में खुरपका मुंहपका रोग के प्रकोप के दौरान अप्रभावित पशुओं का टीकाकरण करना चाहिए?

खुरपका एवं मुंहपका रोग से प्रभावित गांव में, रोग के लक्षण नहीं दिखाने वाले पशुओं का टीकाकरण करना उचित नहीं है क्योंकि यह किसी भी लक्षण के दिखने से पहले ही ऊष्मायन काल के विभिन्न चरणों में हो सकता है। हालांकि, रिंग टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है जोकि संक्रमित गांव के 2 से 3 किमी पहले से शुरू होकर और परिधि से संक्रमण के बिंदु तक अंदर की ओर जाकर रोग के प्रसार को सीमित करता है. प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए संक्रमित क्षेत्रों के पशुओं, पशु आहार एवं लोगों की आवाजाही पर सख्त नियंत्रण भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

खुरपका एवं मुंहपका रोग के प्रकोप के दौरान फार्म परिसर के कीटाणुशोधन के लिए कौन से सामान्य कीटाणुनाशक का उपयोग किया जा सकता है?

सोडियम कार्बोनेट (सोडा ऐश, वाशिंग सोडा) 4 प्रतिशत, सोडियम हाइड्रोक्साइड 2 प्रतिशत, एसिटिक एसिड 4-5 प्रतिशत जैसे सामान्य कीटाणुनाशक का उपयोग किया जा सकता है.

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