नई दिल्ली. जो लोग अपनी बकरियों का डाटा रखते हैं उन्हें ये पता लगाना आसान होता है कि उनकी बकरी कब हीट में आने वाली है. यानी उनके लिए बकरी का हीट पता करना कोई मुश्किल काम नहीं है लेकिन जिनके पास डाटा नहीं होता उनके लिए यह मुश्किल काम होता है. हीट का टाइम पता लगाने में परेशानी होती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि 10 अप्रैल से लेकर 15 जून तक बकरियां प्राकृतिक तौर पर हीट में आ जाती हैं. हालांकि यहां ये भी पता करना पड़ता है कि बकरी के हीट का वक्त क्या है. मसलन सुबह में या फिर शाम में.
एक्सपर्ट के मुताबिक जो बकरियां पहली और दूसरी बार हीट में आती हैं उनके बारे में जल्दी पता चल जाता है क्योंकि इस कंडीशन में बकरी रंभाने लगती है, लेकिन जो बकरियां तीसरी बार हीट में आती हैं उनका पता लगाना मुश्किल होता है. क्योंकि तीसरी बार हीट में आई बकरी शांत ही रहती है. ऐसे में पता करना बड़ा ही मुश्किल होता है कि बकरी हीट में है या नहीं. कुछ तरीके ऐसे हैं कि जिसको अपनाकर हीट में आने का सही सही वक्त पता चल जाता हैत्र हालांकि इसमें थोड़ी सी मेहनत भी करने की जरूरत होती है.
हीट में आने पर कब कराए गाभिन
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बकरी सुबह में हीट में आई है तो उसे शाम तक अच्छे ब्रीडर या फिर आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन जो भी उस वक्त सुरक्षित हो उससे गाभिन करा देना चाहिए. शाम को हीट में आ रही है तो अगले दिन सुबह तक गाभिन कराना सही होता है. इसका फायदा यह है कि उस वक्त बकरी को गाभिन करने से बच्चा भी जल्दी मिल जाता है. नहीं तो दोबारा हीट में आने के लिए 15 से 20 दिन का समय लग जाएगा. इसके चलते तो दूध भी देर में देगी और बकरी को बिना दूध के ही हर रोज चारा खिलाना पड़ता है जो लागत को बढ़ाता है.
इन दो तरीकों से पता करें
बकरी की हीट के बारे में पता लगाने के दो तरीके होते हैं. पहला बकरियों के बारे में पता लगाना उनके हीट में आने की संभावना है तो उनका झुंड अलग बना दें. फिर उस झुंड में ब्रीडर बकरे को कंट्रोल करते हुए बकरियों के बीच में छोड़ दें. बकरा हीट में आई बकरी को सूंघकर अपने व्यवहार बदलने लगता है. इसे पता चल जाता है कि बकरी हीट में आ चुकी है. दूसरा यह है कि जो जो खस्सी बकरा है जो ब्रीडर नहीं बन सकता, उसे बकरियों को झुंड में छोड़ दिया जाता है. वह भी कुछ इसी तरह का व्यवहार करता है और आसानी से हीट में बकरी के बारे में पता चल जाता है.