Milk Production: हरे चारे की कमी होने पर पशुओं को ऐसा क्या खिलांए कि न हो दूध उत्पादन में कमी, पढ़ें यहां

milk production in india

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले किसानों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि जब हरे चारे की कमी हो जाए तो फिर पशुओं को ऐसा क्या दिया, जिससे उनके दूध उत्पादन में कमी न हो. दरअसल, पशुओं को हरे चारे की जरूरत साल भर होती है लेकिन सालभर हरा चारा नहीं मिलता है ये भी कड़वी सच्चाई है. भारत के कई ऐसे इलाकेे हैं, जहां कम बारिश होने की वजह से चारे की कमी हो जाती है. ऐसे में पशुओं को साइलेज देने से इसकी कमी पूरी की जाती है. इससे हरे चारे में मौजूद तमाम तत्व साइलेज के लिए जरिए पशुओं को मिलता है और फिर उत्पादन भी ठीक रहता है. आइए जानते हैं कि कैसे साइलेज तैयार किया जाता है.

जानकारी के बता दें कि 12 महीनों में चार महीने मई-जून, नवंबर-दिसंबर में किसान के पास हरे चारे कमी हो जाती है. हालांकि किसान बरसात के दिनों में ज्यादा ज्यादा पैदा होने वाले हरे चारे को अगर प्रिजर्व कर लें तो हम पशुओं के लिए साइलेज बनाकर इस कमी को दूर कर सकते हैं. ऐसे में इन चार महीनों में चारे की उपलब्धता नहीं रहती है, उसमें हम आसानी से पशुओं को साइलेज खिलाया जा सकता है. जिससे पशुओं के दूध उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेता और प्रोडक्शन भी कम नहीं होता है.

साइलेज का ये भी फायदा है
आज लेबर बहुत महंगी होती जा रही है. जबकि किसानों के पास भी समय की कमी हो गई है. अगर किसान पूरा साल पशुओं को साइलेज खिलाएं तो पशुओं को खेत में ले जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. इससे उनका समय भी बचेगा. क्योंकि खेत में ले जाने पर पशुओं को एक से दो घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है. वहीं खरीफ की फसलों में ज्वार, मक्का, बाजरा और रबी की फसलों में जई आदि की फसल से साइलेज बनाया जा सकता है. साइलेज बनाने के लिए आपको ये करना होगा कि जो फसल होती है, उसका एक पेड़ निकाल कर देख लें अगर आपके हाथों में पानी नहीं लगता तो यह फसल पशुओं के साइलेज के लिए बेहतरीन है.

ऐसे भी बना सकते हैं साइलेज
दूसरा तरीका यह है कि जो साइंटिफिक भी है. फसल में 60% से ज्यादा पानी न हो वह फसल भी साइलेज बनाने के लिए बहुत बेहतरीन मानी जाती है. तीसरा तरीका यह है कि जब रबी की फसल यानि जई में दाना पड़ने लगे तब ये स्टेज साइलेज बनाने के लिए बहुत ही बेहतर समय माना जाता है. हालांकि फसल में पानी ज्यादा है तो तब उसमें गेहूं की चूरी वगैरह डाल सकते हैं. किसान बसीम का साइलेज बनाना चाहते हैं तो उस स्थिति में सूखा चारा डाला जा सकता है.

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