नई दिल्ली. लंगड़ा बुखार मवेशियों में पाए जाने वाला अति घातक रोग है. आम भाषा में जहरबाद, फडसूजन, काला बाय, कृष्णजंधा, लंगड़िया, एकटंगा आदि नामों से भी इसे जाना जाता है. यह रोग वैसे तो हर क्षेत्र के पशुओं में होता है लेकिन नमी वाले क्षेत्रों में ज्यादा होता है और बारिश के दिनों में तो ज्यादा तेजी के साथ फैलता है. ये रोग मुख्य रूप से गाय, भैंस एवं भेड़ को प्रभावित करता है. एक्सपर्ट के मुताबिक ये एक ऐसा बैक्टीरिया रोग है जिसे ऑक्सीजन जरूरत नहीं पड़ती है और पशुओं को तेजी से चपेट में ले लेता है और पशुओं की मौत तक हो जाती है.
बारिश में करता है प्रभावित
राजकीय पशु चिकित्सालय बल्लभगढ़ हरियाणा के वेटनरी सर्जन डॉ. अजय कुमार कहते हैं कि पशुओं में लंगड़ा बुखार खतरनाक बीमारी है. जहां बारिश का मौसम कृषि के लिए बढ़िया माना जाता है तो वहीं दूसरी पशुओं के लिए घातक साबित होता है. क्योंकि पशुओं में इस दरमियान संक्रमित बीमारियों खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. मौसम में नमी बढ़ जाती है और जीवाणुओं को पनपना के लिए उपयुक्त वातावरण मिल जाता है. जीवाणु जनित रोगों में लंगड़ा बुखार यानी ब्लैक क्वार्टर बारिश के दिनों में पशुओं को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. संक्रमण से फैलने वाला यह रोग गाय-भैंस दोनों में हो सकता है. ये भेड़ में भी हो जाता है.
ये हैं लंगड़ा बुखार के लक्षण
उन्होंने बताया कि इस रोग में पिछली टांगों के ऊपरी भाग में भारी सूजन आ जाती है. जिससें पशु लंगड़ा कर चलने लगते हैं. या फिर पशु दर्द की वजह से उठ नहीं पाता है. पशु के शरीर में ये कई गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है. आमतौर पर या रोग 6 से 24 महीने की उम्र में पशुओं को अपनी चपेट में लेता है. हालांकि इस दौरान पशुओं में कुछ लक्षण जरूर नजर आते हैं. जिससे उनकी पहचान की जा सकती है. पशु को अचानक से बहुत तेज बुखार होना. पशु का खाना पीना पूरी तरह से छोड़ देना. पशु के अगले पिछले पैरों में सूजन आ जाना. सूजन की वजह से पशु का लंगड़ा कर चलना. रोगी पशु में सूजन कमर या कंधे तक पहुंचना.
तेजी के साथ शरीर में फैलता है
लंगड़ा बुखार ऐसा रोग है जिनका वक्त पर उपचार नहीं किया गया तो बहुत मुश्किल होती है. इसलिए बचाव करना ज्यादा कारगर साबित होता है. इस रोग के हो जाने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. जिससे पशुओं का इलाज शुरू किया जा सके. कई मामलों में देर करने से पशुओं को बचाना लगभग मुश्किल हो जाता है. क्योंकि संक्रमण द्वारा पैदा यह रोग एक जगह से पूरे शरीर में फैल जाता है, जो कि पशुओं की मौत का कारण बन सकता है. साथ ही इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि यदि पशु बुखार की वजह से पीड़ित है तो दूसरे पशु भी उसके संपर्क में न आएं, नहीं तो वो भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.