नई दिल्ली. मुर्गी पालन में मुर्गियां अपने आसपास मौजूद जैविक अनुपयोगी पदार्थो को खाकर बहुत ही पौष्टिक प्रोटिन से भरपूर अंडा और मांस में बदल देती है. दरअसल, देसी मुर्गी घर के आस पास उपलब्ध चारे एवं कीड़े-मकोड़ों को बड़ी आसानी के साथ खाती हैं. हलांकि इस वजह से उनकी ज्यादा ऊर्जा खपत होती है. जिससे उनकी ग्रोथ पर भी असर पड़ता है. अगर ग्रामीण मुर्गी किसान सुबह और शाम को थोड़ी मात्रा में अतिरिक्त दाना नियमित रूप से दे तों उनकी मुर्गियों को 1 किलो शरीर भार पहुंचाने में कम समय लगेगा. वहीं पोल्ट्री फॉर्मर्स को ज्यादा फायदा भी होगा. जबकि पोल्ट्री दाने में गांव में उपलब्ध कम खर्चीली पौष्टिक सामग्री मिलाने से पोल्ट्री दाने का खर्च भी कम किया जा सकता है.
पानी सबसे सस्ता और आहार का प्रमुख पदार्थ होता है. जिंदा मुर्गी में 55-60 प्रतिशत पानी ही होता है. दाने को नरम करने व पचाने, हजम हुए भोजन को खून में ले जाने, शरीर के अंदर से खराब तत्वों को बाहर निकालने और शरीर का तापमान बनाये रखने के लिये मुर्गियों को पानी की जरूरत होती है. इसलिए मुर्गियों को प्रर्याप्त मात्रा में पानी पिलाना बेहद ही जरूरी होता है. पानी न मिलने से मुर्गियों के उत्पादन पर असर पड़ सकता है.
हरा चारा देना है बेहद जरूरी
पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि मुर्गियों की बेहतर ग्रोथ के लिए नियमित रूप से कृमिनाशक दवा देना भी बहुत जरूरी होता है. जबकि बाहरी कीड़ों को खत्म करने के लिए कीड़े मारने की दवा का भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं मुर्गियों को नियमित हरा चारा और स्थानीय उपलब्ध आहार देने से उनकी ग्रोथ बहुत तेजी के साथ होती है. जबकि दूसरे पहलू पर गौर किया जाए तो सिर्फ चरने से ग्रोथ उतनी तेजी केे साथ नहीं होती है. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर पोल्ट्री फार्मिंग में ज्यादा फायदा चाहते हैं तो मुर्गियों को हरा चारा दिया जाना चाहिए.
हरा चारा क्यों दिया जाए, जानें यहां
हरा चारा प्रोटीन, खनिज एवं विटामिन का अच्छा सोर्स है, जो हर उम्र की मुर्गियों को दिया जाना चाहिए. यह मुर्गियों की हैल्थ व अंडा उत्पादन के लिए बहुत जरूरी होता है. यदि पत्तेदार हरा चारा फूल आने से पहले काटकर मुर्गियों को दिया जाये तो उन्हें प्रोटीन, खनिज एवं विटामिन भरपूर मात्रा में मिलते हैं. हरे चारे में बरसीम एवं लोबिया सर्वोत्तम माने जाते है. इसके अलावा गोभी, गाजर, मूली आदि के पत्ते, पालक जैसी सब्जियों के अनुपयोगी पत्तों के हिस्से भी दिये जा सकते है. मुर्गी आहार में अजोला भी दिया जा सकता है. हरे चारे को साफ पानी से धोकर एवं काटकर देना चाहिए.