नई दिल्ली. पशुओं में अपच की समस्या एक आम समस्या है. जो पेट में दर्द, बेचैनी और भारीपन जैसे लक्षणों से पहचानी जाती है. इसके कई और कारण भी हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं में अपच की समस्या मुख्य रूप से खराब या दूषित चारे, आहार में अचानक बदलाव, अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन, पानी की कमी और कुछ बीमारियों के कारण एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से होती है. इसलिए पशुओं को कभी भी सड़ा हुआ, फफूंदी लगा हुआ, गर्मी या पाले से खराब हुआ चारा नहीं खिलाना चाहिए. एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादा मात्रा में गेहूं मक्का और अन्य कार्बोहाइड्रेट चारे को देने से बचना चाहिए.
अगर पशुओं को अपच की समस्या है तो वे चारा कम खाने लगते हैं. खासतौर पर गर्मियों में अधिकतर पशु चारा खाना कम कर देता है, खाने में अरुचि दिखता है तथा पशु को बदहजमी हो जाती है. इससे दूध उत्पादन में से कम हो जाता है और पशु सुस्त रहने लगते हैं. गंभीर मामलों में अपच पशुओं के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है. बता दें कि इस समय पशु को पौष्टिक आहार न देने पर अपच व कब्ज लगने की संभावना होती है.
अपच की ये भी है वजह
बता दें कि कई बार तो अधिक गर्मी होने पर पशु मुंह खोलकर सांस लेता है, जिससे जुबान उसकी बाहर निकलती रहती है. साथ ही पशु शरीर को ठंडा रखने के लिए शरीर को चाटता है जिससे शरीर में लार कम हो जाती है. एक स्वस्थ पशु में प्रतिदिन 100-150 लीटर लार का बाहर निकालता है जो रुमेन में जाकर चारे को पचाने में मदद करती है. लार के बाहर निकल जाने पर रुमेन में चारे का पाचन प्रभावित होता है जिससे गर्मियों में अधिकतर पशु अपच का शिकार हो जाता है. लक्षण की बात की जाए तो पशु कम चारा खाते हैं. पशु सुस्त रहने लगते हैं, गोबर में दाना आने लगता है और उत्पादन का प्रभावित होता है.
उपचार कैसे करें
पशु को हर्बल दवा रुचामैक्स की 1.5 ग्राम मात्रा दिन में दो बार 2-3 दिनों तक देनी चाहिए. पशु को उसकी इच्छा के मुताबिक स्वादिष्ट चारा उपलब्ध करवाएं. यदि 1-2 दिन बार भी पशु राशन लेना न शुरु करे तो पशु चिकित्सक की मदद लेकर उचित उपचार करवाना चाहिए. आजकल पशुपालकों के पास भूसा अधिक होने से वह पाने पशुओं को भूसा बहुत ज्यादा देते हैं. ऐसे में पशुओं का हाजमा दुरुस्त रखने एवं उत्पादन बनाएं रखने के लिए पशु को रुचामैक्स की 15 ग्राम मात्रा दिन में दो बार 7 दिनों तक देनी चाहिए. इससे पशु का हाजमा दुरुस्त होगा और दुग्ध उत्पादन भी बढ़ता.