नई दिल्ली. हाल ही में पेरिस में हुए एक कार्यक्रम में भारत को रिंडरपेस्ट वायरस मवेशी प्लेग की रोकथाम के लिए बनाए गए एलीट ग्लोबल ग्रुप में शामिल कर लिया गया है. देश का इस ग्रुप में शामिल होना एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. बता दें कि पिछले महीने 29 मई को पेरिस में आयोजित वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हैल्थ डब्ल्यूओएच की 92वीं आम सभा के दौरान इस बात का ऐलान किया गया. जहां केंद्रीय पशु पालन और डेयरी मंत्रालय की सचिव अलका उपाध्याय को सदस्यता से जुड़ा हुआ सर्टिफिकेट भी दिया गया.
माना जा रहा है कि इस ग्रुप में भारत के शामिल होने से देश को बड़ा फायदा होगा. एलिट ग्लोबल ग्रुप में शामिल होने के बाद भारत को पशुपालन और एनिमल डेरी प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट में मदद मिलेगी. जिसका फायदा किसानों को भी मिलेगा और देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिंडरपेस्ट को मवेशी प्लेग के तौर पर भी जाना जाता है और ये पशुधन की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है. यही वजह है कि साल 2011 में वर्ल्ड लेवल पर इसे खत्म करने के लिए अभियान की शुरुआत की गई थी.
खतरे की बनी रहती है संभावना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिंडरपेस्ट वायरस वाली सामग्री (RVCM) अभी भी कुछ लेबोरेटरी में बनी है, जिसके जारी होने पर खतरे की संभावना रहती है. जिस वजह से रिंडरपेस्ट बीमारी से दुनियाभर के पशुओं को मुक्त करने के लिए FAO और WOAH ने RVCM के स्टोरेज को दुनिया भर में कुछ उच्च सुरक्षा लेबेरेटरी तक सीमित रखने के लिए सख्त नियम बना दिए गए हैं. इसी के चलते ही भारत ने 2012 में एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए एक हाई कंट्रोल बीएसएल-3 सुविधा और डब्ल्यूओएएच संदर्भ प्रयोगशाला ICAR-NIHSAD को आरवीसीएम के लिए अपने राष्ट्रीय भंडार के रूप में नामित किया था.
भारत की स्थिति हुई मजबूत
गौरतलब है कि साल 2019 में RHF स्थिति के लिए भी अपना आवेदन किया था. FAO और WOAH की ओर से तैनात इंटरनेशनल एक्सपर्ट द्वारा मार्च 2025 में ICAR-NIHSAD का संयुक्त निरीक्षण किया गया था. इसके मूल्यांकन के बाद संस्थान को अब अपने मजबूत जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रभावी सूची प्रबंधन और इमरजेंसी स्थितियों के लिए तैयार रहने स्थिति को मान्यता देते हुए एक साल की अवधि के लिए कैटेगिरी A RHF के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली है. अब भारत दुनिया भर के उन प्रतिष्ठित समूह में शामिल हो गया है, यह मान्यता भारत को दुनिया भर में केवल छह सुविधाओं के एक एक समूह में रखती है, जिन्हें रिंडरपेसट सामग्री को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सोंपी गई है. भारत ये कामयाबी वैश्विक पशु स्वास्थ्य, जैव सुरक्षा और वन हेल्थ फ्रेमवर्क में भारत की स्थिति मजबूत करती है.
भारत की कोशिशों को दर्शाती है ये कामयाबी
इस कामयाबी पर पशुपालन विभाग की सचिव अलका उपाध्याय का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि रिंडरपेस्ट के खात्मे में भारत की भूमिका बेहद ही अहम थी. ये मान्यता सिर्फ रोकथाम के बारे में नहीं है, ये जिम्मेदारी और तैयारी के बारे में भी है. वैक्सीन बीज सामग्री से संबंधित मामलों पर समिति ने भारत को आगे बढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित करने काम किया है. जो भविष्य में कैटेगिरी B पदनाम के लिए इसके आवेदन को मजबूती से पेश करेगा. कैटेगिरी A RHF के रूप में ICAR-NIHSAD का पदनाम वैश्विक पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा में भारत के लगातार नेतृत्व का प्रमाण है और रोग नियंत्रण और रोकथाम के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के प्रति देश की अटूट कोशिशों की ओर इशारा करता है.