IVRI: अब नई तकनीक से पशुओं की होगी सर्जरी, देश-विदेश के पशु चिकित्स सीख रहें हैं बारीकियां

ट्रेनिंग में शामिल होने वाले पशु चिकित्सक.

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित आईवीआरआई छोटे बड़े पशुओं की सर्जरी के नये कीर्तिमान बना रहा है. देश और विदेश के पशु चिकित्सक बरेली आकर सर्जरी की नई तकनीक को सीख रहे हैं. आईवीआरआई में पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा नेपाल के पशु चिकित्सकों पांच दिवसीय ” हैण्डस ऑन ट्रेनिंग ऑन “सॉफ्ट टिशू सर्जरी इन एनीमल्स” की क्लास दी जा रही है. पशुओं के लीवर, आंत, पथरी और अन्य अंगों की सर्जरी सिखाई जा रही है. आईवीआरआई इस विशेष तकनीक के बारे में पशु चिकित्सकों को सिखा रहा है.

बताया जा रहा है कि इससे वह सीमित संसाधनों में अपने क्षेत्रों में जाकर पशुओं की शल्य चिकित्सा कर ठीक कर सकेंगे. इस अवसर पर एक कंपेडियम का भी विमोचन किया गया .

क्या-क्या सीख रहे हैं पशु चिकित्सक
सोमवार को आईवीआरआई में संस्थान के संयुक्त निदेशक (शेषणिक) डॉ. एसके मेदिरत्ता ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपको पशुओं के बीमारी और निदान दोनों के बारे में आपको हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी जाएगी.

हमारे संकाय सदस्यों के पास पशु रोग एवं निदान के विशाल अनुभव है तथा उनके पास समग्र विषयों का कवरेज भी है.

हमारे संकाय के डाक्टर आर्थोपेडिक्स, प्लेटिंग, इंटर्लाकिंग, नेल और डायनेमिक इंटरनल फ़िक्सेशन तकनीकों पर कार्य करते हैं.

इस सभी संकाय सदस्यों का ज्ञान आप प्राप्त करें तथा अपने अपने क्षेत्रों में जाकर इसका प्रसार करें.

सर्जरी चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. किरनजीत सिंह ने कहा कि यह पाठ्यक्रम क्षेत्र स्तर पर आवश्यकता को पूरा करने और इस प्रकार पशु चिकित्सकों के कौशल को बढ़ाने और क्षेत्र स्तर के परिदृश्य में बदलाव लाने के लिए डिजाइन किया गया है.

पशुओं में सर्जिकल स्थितियों के निदान इमेजिंग और प्रबंधन पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम (AINP-DIMSCA) ने हमें इन पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए एक सही मंच प्रदान किया है, क्योंकि पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण प्रदान करना इस कार्यक्रम के उद्देश्यों में से एक है.

परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. अभिषेक सक्सेना ने कहा कि पाठ्यक्रम का मुख्य लक्ष्य प्रशिक्षुओं के शल्य चिकित्सा के ज्ञान को ताजा करना, उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण देना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, उन्हें नई तकनीकें सिखाना और उन्हें महत्वपूर्ण शल्य चिकित्सा तकनीकों में कुशल बनाना है. ताकि वे अपने अस्पतालों में सर्जरी करना शुरू कर सकें.

मुझे यकीन है कि एक बार जब वे क्षेत्र स्तर पर सरल सर्जरी करना शुरू कर देंगे, तो वे बिना किसी आशंका के कई अन्य जटिल सर्जरी करने में सक्षम होंगे.

डा. रेखा पाठक ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम जनरल सर्जरी से संबन्धित समस्याओं पर खास ट्रेनिंग दी जाएगी. जिससे पशु चिकित्सकों का आत्मविश्वास स्तर को बढ़ाया जा सके.

उन्होंने आगे बताया की पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया है की जनरल सर्जरी से संबन्धित सभी विषयों का इसमें जोड़ा गया है.

डॉ रेखा पाठक ने शल्य चिकित्सा विभाग के बारे में बताते हुये कहा कि यहां पशुओं फैक्चर एवं शल्य चिकित्सा सम्बन्धी सभी तरह की सुविधायें मौजूद हैं.

विभाग द्वारा कई फैक्चर सम्बन्धी डिजाइन एवं पैटेन्ट हासिल किये हैं. विभाग को भारत में पशुरोगों के निदान एवं शल्य चिकित्सा के लिए जाना जाता है.

Exit mobile version