नई दिल्ली. पशु क्रूरता एक अपराध है. हालांकि पशु क्रूरता की आड़े में भी कई बार बड़ी घटनाएं हो जाती हैं. कुछ मामलों में ऐसा देखा गया है कि व्यापारियों के साथ ही कुछ घटनाएं हुईं हैं. जबकि उन लोगों का पशु क्रूरता से कोई लेना देना नहीं था. इस तरह के मामले खासतौर पर गोवंश को लेकर सामने आते हैं. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से राज्य में लागू पशु क्रूरता अधिनियम की जानकारी लोगों के साथ शेयर की गई है. ताकि लोगों को पता चल सके कि राज्य में किसपर पशु क्रूरता के तहत क्या कार्रवाई की जा सकती है.
आपको बता दें कि अगर पशु क्रूरता का मामला है तो इसकी शिकायत भी की जा सकती है और इसपर कार्रवाई भी होती है. बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से बताया गया है कि पशु क्रूरता से संबंधित शिकायत संबंधित थाना, पुलिस अधीक्षक, जिला पदाधिकारी और जिला पशुपालन ‘पदाधिकारी से की जा सकती है. इसके बाद इन अफसरों को कार्रवाई करने का अधिकार होता है.
पशु क्रूरता का नियम यहां से पढ़ें
कोई व्यक्ति राज्य से बाहर गाय, भैंस, बाछाबाछी, पाड़ा-पाड़ी, भैंसा, साँढ़ एवं बैल का निर्यात नहीं करेगा. अगर कोई भी इस उपबन्ध के उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. उसे छह महीने का कारावास या 1000 रुपए का जुर्माना या दोनों के दंड भुगतना पड़ सकता है.
राज्य के हर एक जिला में जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में पशु क्रूरता निवारण समिति गठित है. जिसके सचिव जिला पशुपालन पदाधिकारी होते हैं. जिला पशु क्रूरता निवारण समिति का कार्यकाल 5 वर्षों का है जिसमें सरकारी पदाधिकारियों के अलावा चार गैर सरकारी सदस्य भी होते हैं.
पशु क्रूरता अधिनियम और पशु परिवहन नियमावली के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के पशुओं को रखने हेतु स्थान की अनुमान्यता निम्न है.
200 किलोग्राम के गोजाति के लिए 1 वर्गमीटर जगह की जरूरत होती है.
200-300 किलोग्राम के गोजाति के लिए -1.20 वर्गमीटर की जगह चाहिए होगी.
300-400 किलोग्राम के गोजाति के लिए 1.40 वर्गमीटर की जगह चाहिए.
वहीं 400 किलोग्राम भार के ज्यादा के गोजाति के लिए 2.0 वर्गमीटर की जगह की जरूरत होती है.
पशु क्रूरता रोकथाम
पशुओं पर क्रूरता पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत दण्डनीय अपराध है तथा भारत के संविधान की धारा-48 48 (a) एवं 51 A (g) की भावनाओं के प्रतिकूल है. राज्य में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, पशु परिवहन नियमावली 1978 एवं संशोधित परिवहन नियमावली 2009 का पालन किया जाना है.