Goat: बकरियों को चारा उपलब्ध कराने में आती हैं ये रुकावटें, पढ़ें यहां

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बीटल बकरी, goatwala.com

नई दिल्ली. बकरी पालन एक शानदार काम है. बकरी पालन अन्य पशुओं के मुकाबले ज्यादा फायदा पहुंचाने वाला कारोबार है. क्योंकि ये कम लागत में किया जा सकता है. जहां गाय और भैंस को पालने में ज्यादा बजट की जरूरत होती है तो वहीं बकरी को कुछ हजार रुपए से ही पाला जा सकता है. इसके बाद जैसे-जैसे फायदा बढ़ता जाए बकरियों की संख्या को बढ़ाकर कमाई बढ़ाई जा सकती है. जबकि बकरी को कम चारे की भी जरूरत पड़ती है. दूसरे पशुधन के मुकाबले बकरी पर फीड लागत भी कम आती है. जबकि इसके दूध और मीट से कमाई होती है.

बकरी पालन जहां बेहतरीन काम है तो वहीं अन्य कामों की तरह इसमें भी कुछ दिक्कतें हैं, जिसको समझना एक बकरी पालक के तौर पर जरूरी है. तभी बकरी पालन के काम में मुनाफा कमाया जा सकता है, नहीं तो हाथ में सिर्फ नुकसान आएगा. केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG) के एक्सपर्ट की मानें तो बकरियों के लिए चारा उपलब्धता में कुछ समस्याएं हैं, जिन्हें हर पशुपालकों को जान लेना चाहिए. लाइव स्टक न्यूज (Livestock Animal News) से एक्सपर्ट डोरी लाल गुप्ता एवं राजकुमार सिंह ने बताया कि बकरियाँ सामान्यत बेकार पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी व नहर के किनारे चर कर चारा हासिल करती हैं जो कि समुचित मात्रा एवं गुणवत्ता में नहीं प्राप्त हो पाता है. जिससे कि किसान बकरियों से अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते हैं.

क्या-क्या मुश्किल आती है, जानें यहां

  1. बकरियों के चरने वाली जमीन बारिश पर आधारित होती है तथा हरे चारे की उलब्धता सिर्फ बरसात के महीनों में ही रहती है.
  2. चराई वाली जमीनें ज्यादातर बेकार वनस्पतियों से भरी रहती हैं जिनको कि बकरियां नहीं खाती हैं.
  3. भूमिहीन व सीमान्त किसान बकरियों के लिए चारे की खेती नहीं कर पाते हैं.
  4. भूमि की दशा व जलवायु के अनुकूल चारा फसलों में प्रजातियों का अभाव है.
  5. गैर परम्परागत चारा स्रोतों का समुचित ज्ञान न होना.
  6. सिंचाई के संसाधनों का चारा फसलों में अभाव.
  7. चारा उत्पादन के अन्तर्गत अधिक क्षेत्रफल का न होना.
  8. नार्मल चारा स्रोतों (भूसा इत्यादि) की गुणवत्ता वृद्धि, सम्बन्धी तकनीकों का अभाव.
  9. चारा फसलों का बाजारी मूल्य न होने के कारण किसान कम रूचि लेते हैं.
  10. चारे के स्टोरेज के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होने के कारण स्टोरेज में भी समस्या होती है.
  11. चारे के पौष्टिक मान के प्रति किसानों को जानकारी न होना.
  12. चारा फसलों के लिए टेस्टेट बीजों का अभाव.
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