नई दिल्ली. दुधारू पशुओं से बेहतर उत्पादन लेने के लिए अंजन घास का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये भी हरे चारे के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि अंजन घास से सिंचित क्षेत्र में तकरीबन 35 टन हरा चारा हासिल किया जा सकता है. इसलिए ये हरे चारे का एक अच्छा विकल्प है. अगर आप इस चारा फसल को अपने खेत में लगाते हैं तो फिर पशुओं के लिए भरपूर चारा पा सकते हैं.
बता दें कि अंजन घास एक कलगीदार, 60 सेंमी तक लम्बी बहुवर्षीय घास है. यह राजस्थान की स्थानीय भाषा में मोडा धामन घास और भारत के अन्य हिस्सों में अंजन घास के नाम से जानी जाती है. यह सूखे क्षेत्रों के चारागाहों की प्रमुख घासों में से एक है और अपनी सूखे के प्रति सहनशीलता और सभी प्रकार के पशुओं को खिलाने के उपयुक्त पाई गई है. उन्नत किस्मों में काजरी 358, मोडा घामन घास 76, अंजन घास- 1, काजरी-75 शामिल है.
कैसे करें इसकी बुवाई
यह घास मिट्टी एवं जलवायु की विस्तृत श्रेणी के लिए अनुकूल है.
यह बेहद ही सूखे जलवायु की अवस्था में 250 से 1250 मिमी बारिश की स्थिति में भी उगाई जा सकती है.
इनके विकास के लिए 30-35 डिग्री. सेंटी. तापमान उपयुक्त होता है.
यह लम्बे सूखे मौसम में भी जीवित रहती है और हल्की बरसात से बहुत तेजी से बढ़ती है.
घास को चारागाह में बीज की बुवाई करके स्थापित किया जा सकता है.
बीजों को कतारों में 1-2 सेंमी. गहराई पर 75 सेमी. की दूरी पर सूखे क्षेत्रों में और नमी वाले क्षेत्रों में 50 सेमी. दूरी लगाया जाता है, उचित बीज दर 8-10 किग्रा. प्रति हैक्टेयर होती है.
बेहतर तरह से लगाने और ज्यादा चारा उपज के लिए एक से दो बार निराई जरूरी होती है.
ज्यादा उपज के लिए प्रति वर्ष 30 किलो ग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यक होती है.
अंजन घास की अधिक उपज देने वाली किस्में अगस्त से अप्रैल के मध्य शुष्क क्षेत्रों में 2-3 कटाई में 4 से 5 टन स चारा प्रति हैक्टेयर की दर से उत्पादित करती हैं.
कम सूखे क्षेत्रों में उत्पादन दोगुना हो जाता है, सिंचित क्षेत्रों में हरा उत्पादन 23 से 35 टन प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त हो सकता है.
चारे में प्रोटीन की मात्रा 7 से 8 प्रतिशत तक होती है.