AI: कृत्रिम गर्भाधान का टारगेट पूरा करने के लिए होगी मॉनटरिंग, लंपी से बचाव के लिए उठाए जाएंगे ये कदम

गोवंश के गोबर से संरक्षण केंद्र में बड़ा प्लांट संचालित होता है, जिससे जनरेटर के माध्यम से बिजली बनाई जाती है.

गोशाला में बैठी गाय.

नई दिल्ली. राजस्थान के पशुपालन, गोपालन और मत्स्य शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने एक अहम बैठक में सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक के उपयोग की समीक्षा करते हुए कहा कि यह पशुपालन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है जो पशुपालकों को चार गुना फायदा देगी. उन्होंने अधिकारियों से इस तकनीक के उपयोग की अब तक की प्रगति की जानकारी ली. अधिकारियों ने बताया कि अब तक प्रदेश में दो लाख स्टॉक की आपूर्ति के मुताबिक मात्र 36 हजार 317 पशुओं का ही कृत्रिम गर्भाधान किया गया है. इस पर असंतोष व्यक्त करते हुए शासन सचिव ने इसके प्रति उदासीनता के कारण का पता लगाते हुए इसकी सघन मॉनिटरिंग करने के सख्त निर्देश दिए और जल्द से जल्द इसकी संख्या बढ़ाने को कहा.

उन्होंने कृत्रिम गर्भाधान का इन्द्राज पशुधन एप पर किए जाने के भी निर्देश प्रदान किए. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सेक्स सॉर्टेड सीमन से ही एआई करनी है इसके लिए पशुधन निरीक्षक को प्रशिक्षण की आवश्यकता है. उन्होंने आरएलडीबी को इस प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के लिए निर्देश प्रदान किए.

बैठक में दिए ये अहम निर्देश
लंपी रोग प्रतिरोधक सहित अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए किए जा रहे टीकाकरण की समीक्षा करते हुए डॉ. शर्मा ने टीकाकरण की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि निर्धारित समयावधि में शत प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण किया जाना सुनिश्चित करें. उन्होंने निर्देश दिए कि जहां भी लंपी के लक्षणों की शिकायत मिलती है वहां पशुओं को आइसालेट करें.

एफएमडी टीकाकरण के लिए डॉ शर्मा ने अधिकारियों को साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित करते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण कर उनका इन्द्राज पशुधन एप पर करवाने के निर्देश दिए.

उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि पशु चिकित्सा संस्थाओं मेें उनकी मांग के अनुरूप दवाओं की उपलब्धता हर हाल में सुनिश्चित की जाए जिससे किसी भी परिस्थिति में दवाइयों की कमी से कार्य न रुक पाए.

उन्होंने चिकित्सालयों में उपलब्ध औषधियों और उपकरणों के नियमित सदुपयोग पर बल दिया और कहा कि जिन संस्थाओं में औषधियों का समय पर समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है उन औषधियों को आवश्यकतानुसार अन्य संस्थाओं में वितरित किया जाए.

डॉ शर्मा ने नए पशु चिकित्सा संस्थाओं के लिए पट्टों की उपलब्धता की प्रगति पर भी संतोष व्यक्त करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जिला कलक्टर्स से मिलकर इस संबंध में काम को और गति दें.

गौरतलब है कि अब तक 444 भवनों के लिए जमीन के पट्टे प्राप्त हो चुके हैं जबकि शेष पट्टे भी शीघ्र प्राप्त हो जाएंगे.

शासन सचिव ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन काम करने वाले पशु चिकित्सकों से व्यक्तिगत रूप से बात की और उनकी सराहना करते हुए अन्य चिकित्सकों को उनसे प्रेरणा लेने की सलाह दी.

बैठक में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अकादमिक चर्चा भी हुई जिसमें विभाग के अधिकारियों के साथ साथ जिलों के पशु चिकित्सा अधिकारियों ने भी भाग लिया. शासन सचिव ने जिलों से विभाग को श्रेष्ठता की ओर ले जाने के लिए रचनात्मक सुझाव भी आमंत्रित किए.

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