Goat Farming: अब लाइलाज नहीं रही बकरियों की ब्रूसेल्ला बीमारी, CIRG ने तैयार कर ली दवा

breeder goat

बीटल बकरी,

नई दिल्ली. बकरियां में होने वाले ब्रूसेल्ला बीमारी जो अब तक लाइलाज मानी जा रही थी उसका इलाज केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान सीआईआजी ने ढूंढ लिया है. तीन वैज्ञानिकों की टीम को यह सफलता हासिल हुई है. जल्द ही जल्द ही दवा को बाजार में टैबलेट के रूप में उपलब्ध करा दिया जाएगा. दवा कंपनियों से इसके करार पर भी वार्ता चल रही है. इस दवा की खास बात यह है कि इस रसायन या किसी विष से नहीं बनाया गया है, बलिक इसे बनाने में जड़ी-बूटियां का इस्तेमाल किया गया है.

केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर एमके सिंह अनुराग और वरिष्ठ वैज्ञानिक के गुरुराज ने माइक्रोबायोलॉजी एवं मेडिसिन लैब में 2016 में इसपर रिसर्च की शुरुआत की थी. साल 2022 में रिसर्च पूरी होने के बाद दवा का ब्रूसेल्ला रोग से ग्रसित बकरियों पर परीक्षण किया गया. 2 साल में विभिन्न प्रशिक्षण और प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद वैज्ञानिकों ने इसे उपयुक्त करार देते हुए भारत सरकार को भेज दिया था.

जल्द ही होगी बाजार में उपलब्ध
इस संबंध में केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक मनीष चौटाली का कहना है कि संस्थान के वैज्ञानिकों की यह सफल रिसर्च बड़ी ही उपलब्धि है. भारत में पहली बार ब्रेसेल्ला रोग की दवा विकसित की है. जल्द ही या बाजार में उपलब्ध करा दिया जाएग. जरूरत पड़ने पर इसे विदेश में भी भेजा जाएगा. इस दवा के बनने से बकरियों को इस लाइलाज बीमारी से बचाया जा सकेगा. इससे पशु पालकों को फायदा होगा और इस बीमारी से मरने वाली बकरी के बीमार हो से पशुपालकों को जो नुकसान होता था वो अब नहीं होगा.

ब्रूसेल्ला बीमारी में क्या होता है
ब्रूसेल्ला जीवाणु से संक्रमित बकरी का बार-बार गर्भपात होता है और गर्भाशय से जीवाणु का स्त्राव सफेद या लाल तरल के रूप में होता है. यह उन बकरियों को भी बीमार कर देता देता है, जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं. बकरी पालन के दौरान बकरी में इंफेक्शन दिखे तो सबसे पहले उसे अन्य बकरियों से अलग कर देना चाहिए. विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन पेरिस की गाइडलाइन के मुताबिक बकरी में जैसे ही ब्रूसेल्ला की पुष्टि अधिकारी के लैब द्वारा दी जाती है इसे तत्काल प्रभाव से मारकर दफन कर दिया जाता है.

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