नई दिल्ली. झारखंड राज्य सरकार एवं एनडीडीबी के संयुक्त प्रयास से मेधा डेयरी (Medha Dairy), होटवार में 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाले अत्याधुनिक मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखी गई है तो वहीं पशुपालक दूध, मटर-टमाटर के साथ—साथ आम बेच रहे हैं. इस प्लांट का शिलान्यास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने किया. यह पाउडर प्लांट अतिरिक्त दूध के प्रबंधन में अत्यंत सहायक होगा, जिससे अब झारखंड को प्रसंस्करण हेतु बाहरी राज्यों या निजी संस्थानों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. जो इस ओर इशारा काता है कि आज झारखंड सहकारिता की भावना के साथ ‘सहकार से समृद्धि’ की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
झारखंड में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी राज्य में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. अनेक महिलाएं डेयरी समितियों से जुड़कर आजीविका अर्जन कर रही हैं और आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही हैं.
सीएम बोले- किसानों को बनाएंगे उद्यमी
वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहा कि झारखंड के किसान और पशुपालक विशेष रूप से महिलाएं आज जिस आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ रही हैं, महिला डेयरी किसानों की बढ़ती भागीदारी ने न केवल परिवारों की आर्थिक स्थिति को सशक्त किया है, बल्कि पूरे डेयरी क्षेत्र को भी नई दिशा दी है. उन्होने विश्वास दिलाया कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है. चाहे वह दूध उत्पादन हो, बाजार उपलब्ध कराना हो या मूल्य प्रोत्साहन देना हो. यह मिल्क पाउडर प्लांट ना केवल बचे दूध का उपयोग सुनिश्चित करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में झारखंड के किसानों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में मदद करेगा. अब समय आ गया है कि हमारा किसान केवल उत्पादक नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और सशक्त उद्यमी बने, यही हमारा लक्ष्य है.
झारखंड बनेगा आत्मनिर्भर
झारखंड सरकार की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की (Shilpi Neha Tirkey) ने कहा कि झारखंड पहले अतिरिक्त दूध को SMP में परिवर्तित करने के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर था, लेकिन अब 20 MTPD क्षमता वाला यह प्लांट राज्य को आत्मनिर्भर बनाएगा. यह कार्य एनडीडीबी और झारखंड मिल्क फेडरेशन के बीच हुए MoU के तहत किया गया है. उन्होने कहा कि यह आवश्यक है कि सहकारी समितियों की पहुंच और कवरेज को और अधिक व्यापक बनाया जाए. एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी. शाह ने कहा कि मेधा डेयरी की स्थापना के तुरंत बाद 2014 से इसका प्रबंधन एनडीडीबी के माध्यम से किया जा रहा है. राज्य सरकार के सहयोग से एनडीडीबी ने झारखंड डेयरी क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं.
किसानों को हुआ करोड़ों का भुगतान
डॉ. मीनेश सी. शाह ने कहा कि एनडीडीबी द्वारा प्रबंधित मेधा के साथ 65,000 किसान जुड़ चुके हैं जो की 2.5 lakh लिटर दूध की खरीद कर रहे हैं और राज्य में 1,150 कंप्यूटरीकृत दूध संकलन केंद्र और 140 BMC यूनिट्स कार्यरत हैं, जिनके माध्यम से ग्रामीण स्तर पर गुणवत्ता युक्त दूध का पारदर्शी संकलन सुनिश्चित किया जा रहा है. पिछले 11 वर्षों में एनडीडीबी के प्रबंधन में किसानों को उनके बैंक खातों में 1,500 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है. राज्य सरकार द्वारा किसानों को ₹5 प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है, जिससे किसानों की आमदनी और आत्मविश्वास दोनों में वृद्धि हुई है. इस अवसर पर यह भी बताया गया कि झारखंड में डेयरी विकास कार्यक्रम को संस्थागत रूप देने हेतु एनडीडीबी ने राज्य सरकार के साथ 2029 तक का विस्तारित MoU साइन किया है.
फल और सब्जी प्रोसेसिंग यूनिट शुरू की
JMF ने हॉटवार, सराथ, साहेबगंज और पलामू में दुग्ध संयंत्रों की स्थापना एनडीडीबी द्वारा बिना किसी शुल्क (प्रो-बोनो) पर की है. गिरिडीह, जमशेदपुर और रांची में नए डेयरी प्लांट्स, मिल्क प्रोडक्ट यूनिट्स, जैविक खाद इकाइयाँ, बायोगैस संयंत्र तथा पशु आहार परियोजनाएँ कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हैं. एनडीडीबी द्वारा IVF परियोजना के माध्यम से उच्च नस्ल की बछिया पैदा करने तथा 12 जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. साथ ही, Mother Dairy, नागरी में फल एवं सब्जी प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित कर चुका है जिससे कृषि उत्पादों जैसे टमाटर, मटर, स्वीट कॉर्न और आम की स्थानीय खपत और किसानों की आमदनी दोनों को बढ़ावा मिल रहा है. राज्य सरकार और एनडीडीबी के प्रयासों से पिछले तीन वर्षों में मेधा लाभ की स्थिति में पहुंच चुकी है. साथ ही मिलावटी या नकली उत्पादों के खिलाफ एक मजबूत उपाय के रूप में यह पाउडर प्लांट स्थानीय स्तर पर शुद्ध उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.