Dairy: 16 लीटर से शुरू किया, आज हर दिन होता है 15 हजार लीटर दूध का उत्पादन, पढ़ें नंबर वन डेयरी के बारे में

Animal Husbandry: Farmers will be able to buy vaccines made from the semen of M-29 buffalo clone, buffalo will give 29 liters of milk at one go.

प्रतीकात्मक फोटो. Live stockanimal news

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के बालगुड़ा गांव ने दूध उत्पादन के क्षेत्र में रिकॉर्ड कायम कर दिया है. पूरे प्रदेश में इस गांव ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. हर दिन यहां 15 हजार लीटर दूध यहां पहुंचता है. समिति के अनुसार प्रदेश में 16 व संभाग में 19 साल से यहां की डेयरी रिकॉर्ड दूध उत्पादन करके पहले स्थान पर है. इसके चलते किसानों को खूब मुनाफा मिल रहा है. नतीजे में गांव हर दूसरा घर दूध उत्पादन करके अपनी आजीविका चला रहा है. गांव के लोगों को अच्छी कमाई हो रही है. बताया जा रहा है कि समिति ने हासिल आय से पेयजल व्यवस्था, पशु शव वाहन समेत अन्य कार्ष भी किए हैं. खास बात यह भी है कि यह संस्था लाभांश से अतिरिक्त राशि रोग पशुपालकों देती है.

दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मर्यादित मालगुड़ा के सचिव घनश्याम पाटीदार का कहना है कि पहले अफीम फसल के अधिक पड़े होने के चलते जिले व प्रदेश में गांव की पहचान थी लेकिन अब दूध उत्पादन में हम सबसे आगे हैं. उन्होंने बताया कि साल 2003 में सचिव का पदभार संभाला था, तब रोज 16 लीटर दूध का कलेक्शन था.

समिति पशुपालकों को देती है ज्यादा दाम
इसके बाद घर-घर संपर्क कर दूध उत्पादन के फायदे गिनाए गए तो लोग जुड़े. इस बीच निजी डेयरी भी खुली लेकिन टिक नहीं पाई. इसका कारण यह भी है कि समिति अपने सदस्यों की दूध संघ के भाव के अलावा लाभांश में से 20 पैसे अतिरिक्त देती है. यानी 6 फैट के दूध का भाव दुग्ध संघ द्वारा 7 रुपए 60 पैसे (प्रति फैट) दिया जाता है. लेकिन समिति अपने फायदे को सदस्यों को बांटते हुए 20 पैसे अतिरिक्त देकर 7 रुपए रुपए 80 पैसे प्रदान करती है. इस तरह तरह समिति पशुपालकों को प्रतिलीटर 1 रुपया 20 पैसा बढ़कर 46 रुपए 80 पैसे का भुगतान करती है. समिति का कहना है कि है कि डेयरी का मुख्य उद्देश्य फायदा कमाना नहीं है, बल्कि अपना खर्च काटकर काटकर मुनाफा पशुवलकों में बांटना है. समिति के 318 सक्रिय सदस्य हैं. आसपास के क्षेत्र से मिलकर 400 के करीब पशुपालक रोज दूध लेकर डेली डेयरी पर पहुंचते हैं.

कई परिवारों की आजीविका दूध पर निर्भर
संस्था के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार ने भाया कि पशुपाालकों की संतुष्टि के चलते दूध डेयरी ने यह मुकाम हासिल किया है. साल 2006 से उज्जैन दुग्ध संघ में और 2009 से प्रदेश में यह डेयरी दुग्ध उत्पादन में नंबर वन पर है. गांव में कई परिवारों की आजीविका दूध के व्यवसाय पर निर्भर है. समिति ने अपने फंड से हायरर सेकंडरी स्कूल में बच्चों के लिए मिनरल वाटर भी लगवाया है. इसके अलावा मुक्तिधाम में टीन शेड, पशु राय बहन की व्यवस्था भी की है. पशुओं के लिए 2 स्थानों पर हौद भी बनाई है. समिति का कहना है कि गांव में अस्पताल निर्माणाधीन है, इसका काम पूरा होने के बाद सोसायटी ऑक्सीजन बेड प्रदान करेगी. इसको लेकर कार्ययोजना प्रस्तावित की गई है.

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