Dairy Sector: पंजाब को पनीर का बड़ा बाजार बनाने के लिए क्या तैयारी हो रही, पढ़ें डिटेल

पनीर असली है या नकली इसकी पहचान करने का सबसे पहला तरीका यह है कि पनीर के टुकड़े को हाथों से मसलकर देखें.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. आने वाले समय में पंजाब पनीर का एक प्रीमियम पनीर केंद्र बन सकता है. दरअसल, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय ने ‘पंजाब में पनीर और उसकी संभावनाएं’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में इसी बात पर ज्यादा जोर दिया गया है. कुलपति डॉ. जेपीएस गिल ने पनीर की बढ़ती वैश्विक और घरेलू मांग पर के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हम पंजाब को एक प्रीमियम पनीर केंद्र में बदलते हैं तो इसका फायदा डेयरी सेक्टर को मिलेगा.

3134 हजार करोड़ के बाजार में अवसर तलाशा गया
इस कार्यक्रम में 3134 हजार करोड़ के वैश्विक पनीर बाजार में अवसरों का पता लगाने के लिए प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाया गया था.

कार्यक्रम में प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (पीडीएफए), फ्रंटियर डेयरी जंक्शन, क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर), डेयरी किसान, स्टार्ट-अप, प्रसंस्करणकर्ता और खुदरा विक्रेताओं ने भाग लिया.

विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. आर.एस. ग्रेवाल ने बताया कि उपस्थित लोगों ने पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा मानकीकृत विभिन्न प्रकार के पनीर, जैसे मोज़ेरेला, रिकोटा, शेवरले और कॉटेज, का नमूना लिया, जिससे स्थानीय विशेषज्ञता को पेश किया.

कॉलेज द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्तुति में प्रीमियम चीज के बाजार के रुझान, अर्थशास्त्र और व्यापार संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया, जिससे प्रतिभागियों के बीच गहन चर्चा हुई.

पीडीएफए के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने चीज बाजार की क्षमता का आकलन करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय की प्रशंसा की.

पंजाब में बढ़ते दूध उत्पादन और विदेशों से लौटकर व्यावसायिक डेयरी फार्म स्थापित करने वाले युवा उद्यमियों की संख्या में इजाफे का जिक्र किया.

हितधारकों ने मोजेरेला, रिकोटा, शेवर, चेडर, बोकोनसिनी, बुराटा, पार्मेज़ान आदि जैसे विशेष चीज़ों की बढ़ती स्थानीय माँग पर चर्चा की.

डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. एसपीएस घुमन ने चीज बनाने लिए प्रोत्साहित किया डॉ. आरएस ग्रेवाल ने पंजाब के डेयरी फार्मिंग को उच्च-मूल्य वाले पनीर उत्पादन के केंद्र में बदलने, किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की कल्पना की.

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