नई दिल्ली. दुधारू पशुओं के लिए अगर आप बेहतरीन चारा लेना चाहते हैं तो फिर आपके पास सबसे अच्छा विकल्प लोबिया और ज्वार बारिश के वक्त में ही लगाया जाता है. जिससे पशुओं की तमाम जरूरत पूरी हो जाएगी. जिसका फायदा दूध उत्पादन में मिलेगा. लोबिया की बुआई के लिए अगर आप उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं तो बुआई के समय 15-20 किलो ग्राम नाइट्रोजन, फॉस्फोरस 60 किलो ग्राम तथा पोटाश 40 किलो ग्राम प्रति हैक्टर प्रयोग को दर से करना चाहिए. नाइट्रोजन की पूरी खुराक बुआई के समय ही प्रयोग करना न भूलें.
खरीफ में बोई गई फसलों को सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन बरसात न होने पर सिंचाई करते रहना चाहिए. फलियां बनने की अवस्था पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
कटाई व उपज के बारे में जानें
फूल और फली बनने की अवस्था में फसल चारे की कटाई के लिये तैयार हो जाती है. यह अवस्था बुआई के 60-75 दिनों बाद आती है. हरे चारे की उपज 250-300 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्র होती है.
ज्वार के बारे में पढ़ें
वहीं ज्वार, खरीफ के मौसम में चारे की मुख्य फसल है. देसी किस्मों में प्रोटीन कम होने से यह एक अपूर्ण निर्वाहक आहार माना जाता है.
इसकी उन्नत किस्मों में 7-9 प्रतिशत प्रोटीन होती है, जिससे ये किस्में निर्वाहक आहार मानी जाती है.
मीठी ज्वार (रियो). पीसी 6. पी.सी. 9. यू.पी. चरी व 2. पन्त चरी-3, एच.सी. 308. हरियाली चरी-1711, कानपुरी सफेद इत्यादि किस्मों का चुनाव करना चाहिए.
मात्राः ज्वार को बुआई जून-जुलाई महीनों में करनी चाहिए. वर्षा न होने की परिस्थिति में बुआई पलेवा करके करनी चाहिए.
छोटे बीजों वाली किस्मों जैसे मीठी ज्वार के बीज 25 से 30 किलो ग्राम तथा दूसरी किस्मों के बीज 40 से 50 कि.ग्रा. प्रति ट्रैक्टर रखना चाहिए.
इसे फलीदार फसल जैसे-लोबिया के साथ 2:1 के अनुपात में बेाया जा सकता है. इससे हरे चारे की पौष्टिकता व उत्पादकता बढ़ जाती है.
बुआई की विधिः बीज की युआई
छिड़काव या सीडहिल से की जा सकती है. मिलवा फसल में बुआई सीडडिल द्वारा कूड़ों में करनी चाहिए.
ज्वार में कितना उर्वरक डालें
उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षणों के आधार पर करना चाहिए. सामान्य तौर पर 80-100 किलो ग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलो ग्राम फॉस्फोरस एवं 20 किलो ग्राम पोटाश प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए.