Dairy: सीमित लागत में इस ट्रिक से करें अजोला की खेती, 1 किलो चारे से बढ़ जाएगा पशु में कई लीटर दूध

milk production

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. देश में कई राज्यों में पशुओं के लिए पौष्टिक चारे की भारी कमी हो गई है. ऐसे में पशुपालक अजोला को विकल्प के तौर पर चुन रहे हैं. क्योंकि इसमें प्रोटीन और खनिज लवण से भरपूर मात्रा में होती है और यह तेजी के साथ वृद्धि करने वाला जलीय फर्न भी है. अजोला का 1 किलो चारा पशुओं का कई लीटर दूध बढ़ाने की क्षमता रखता है और सबसे खास बात यह है कि छोटे गड्ढे में भी इसकी खेती की जा सकती है. अगर अभी तक आपने अजोला की खेती नहीं की है तो लिए आपको यहां इसके बारे में पूरी डिटेल बताते हैं.


इसकी खेती कम उत्पादन कम सामग्री तथा सीमित लागत में की जा सकती है. कम छायादार या पूरी तरह से छायादार इलाकों में सफलतापूर्वक इसकी खेती की जा सकती है. इसकी खेती के लिए 6.0-8.0 पीएच का 30 से 35 सेंटीमीटर गहराई तक भरा हुए पानी की आवश्यक होती है. अच्छी वृद्धि तथा बायोमास उत्पादन के लिए 18 से 28 डिग्री सेल्सियस 64 से 820 फारेनहाइट तापमान तथा आद्रता 50 से 90% अनुकूल मानी जाती है. ध्यान रहे कि 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान अजोला की अच्छी वृ​द्धि के लिए नुकसानदेह है. अजोला में सभी पोषक तत्व, वायु तथा जल पोषित करता है.

इस तरह करें गड्ढे में खेती: छोटे पशुपालकों के लिए 8×4×1 घन मीटर के गड्ढे से 1.5 2.2 किलोग्राम में जुड़ा प्रतिदिन प्राप्त हो सकता है. चयनित क्षेत्र के लिए थोड़ा ऊंचाई पर साफ सुथरा तथा समतल होना चाहिए. जिससे बरसात का पानी गड्ढे में न जमे. गड्ढे की दीवारें ईंटों की या कच्चे गड्ढे के ऊपर मजबूत मेड़ के रूप में होनी चाहिए. गड्ढे के भीतरी सतह में प्लास्टिक और शीट बिछाकर बाहर की तरफ उसे ईंटों या मजबूत मिट्टी की मेड़ से दबा देना चाहिए. गड्ढे की सतह पर 880 से 100 किलोग्राम उपजाऊ मिट्टी को छलनी से छानकर, 5 से 7 किलोग्राम ताजा गोबर तथा 10 से 15 लीटर पानी की परत बढ़ा देनी चाहिए. इसमें 80 से 20 सेंटीमीटर पानी भरकर 2 किलोग्राम ताजा अजोला कल्चर फैला देना चाहिए.

इसलिए अजोला है बेहतर चारा: गड्ढे में पत्तियां, कूड़ा आदि गिरने से बचने के लिए जाल से ढक देना अच्छा होगा. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट कहते हैं कि जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ दूध उत्पादन तथा मांस की बढ़ती मांग से पशुपालन पर दबाव अत्यधिक बढ़ता जा रहा है. देश में कृषि के तहत पूरे क्षेत्र के मात्र चार से नौ प्रतिशत क्षेत्रफल 9.3 मिलियन हेक्टेयर में ही चारा उत्पादन किया जाता है. देश में हर 40 शुष्क सहारे तथा दाना मिश्रण की आवश्यकता तथा उपलब्धता में भी काफी कमी आई है. इसलिए पशुओं की अच्छी वृद्धि और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक किफायती तथा वर्ष भर उपलब्धता वाले चारा स्रोतों को विकसित करना जरूरी है. जिसमें अजोला अच्छे प्रोटीन से भरपूर चार है.

Exit mobile version