नई दिल्ली पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या को दूर करना पशुपालकों के लिए मुश्किल भरा काम है. जबकि हरा चारा खिलाना पशुओं की सेहत और दूध के लिए काफी मायने रखता है. इसी वजह से दुधारू पशुओं के लिए गर्मी के मौसम में लोबिया चारे की फसल फायदेमंद मानी जाती है. लोबिया की खेती आमतौर पर सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढ़ने वाली फलीदार, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने बताया है कि लोबिया को हरे चारे के रूप में अकेले या मिश्रित फसल के तौर पर भी उगाया जा सकता है.
भारत में लोबिया को दाल, सब्जी, हरे चारे एवं हरी खाद के लिए उगाया जाता है. भारत, लोबिया का सम्भावित उत्पत्ति स्थल है. लोबिया प्रोटीन से भरपूर पौष्टिक हरा चारा है. इसमें 17-18 प्रतिशत प्रोटीन होता है.
कब है बुवाई का सही समय
इसकी खेती दोमट, बलुई दोमट और हल्की काली मिट्टी में की जाती है.
पलेवा करके एक-दो जुताई कल्टीवेटर हल से करनी चाहिए। हर जुताई के बाद पाटा लगाना आवश्यक है जिससे नमी बनी रहे.
जायद में इसकी बुवाई मार्च से अप्रैल तक की जा सकती है.
एकल फसल के लिए 30-35 किग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है.
यदि इसे मक्का या ज्वार के साथ मिलाकर बोया जाना है तो 15-20 किग्रा. बीज का प्रयोग करना चाहिए.
बीज की बुवाई लाइनों में 25-30 सेमी. की दूरी पर करें. लोबिया की बुवाई मिलवां खेती में अलग-अलग लाइनों में होनी चाहिए.
बुवाई के समय 20 किग्रा. नाइट्रोजन तथा 60 किग्रा. फोस्फोरस प्रति हैक्टेयर देना चाहिए।
पहली सिंचाई बुवाई के 15 दिन बाद करनी चाहिए, मार्च में बोने पर 4-5 बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है.
बुवाई के 85-90 दिनों के बाद या 50 प्रतिशत फूल आने पर कटाई करनी चाहिए.
कुल उपज लगभग 35-40 टन प्रति हैक्टेयर हासिल होती है.