Animal Fodder: बरसीम क्यों है पशुओं के लिए बेस्ट चारा, जानें यहां, बुवाई का सही तरीका भी पढ़ें

चारे की फसल उगाने का एक खास समय होता है, जोकि अलग-अलग चारे के लिए अलग-अलग है.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. बरसीम का हरा चारा अपने गुणों द्वारा दुधारू पशुओं के लिए बेहतरीन है और पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय भी है. ये पशु पालकों के बीच मिल्क मल्टीप्लायर के नाम से जाना जाता है. उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में मक्का या धान के बाद इसकी खेती होती है. बरसीम में औसतन 19-20 प्रतिशत प्रोटीन होता है. जिससे ये जानवरों की प्रोटीन की जरूरत को पूरा करता है और दुधारू पशु ज्यादा दूध का उत्पादन करते हैं. ये चारा फसल दोमट तथा भारी दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त है. बरसीम की खेती के लिए अम्लीय मिट्टी उपयुक्त नहीं होती है.

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के मुताबिक खरीफ की फसल के बाद पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से फिर 2-3 बार हैरो चलाकर मिट्टी भुरभुरी कर लेना चाहिए. बुवाई के लिए खेत को लगभग 4×5 मीटर की क्यारियों में बांट लें.

बुवाई का तरीका यहां पढ़ें
बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक करना ठीक रहता है. देर से बोने पर कटाई की संख्या कम और चारे की उपज प्रभावित होती है.

तैयार क्यारियों में 5 सेमी गहरा पानी भरकर उसके ऊपर बीज छिड़क देते हैं। बुवाई के 24 घंटे बाद क्यारी से जल निकास कर देना चाहिए.

जहां धान काटने में देर हो वहां बरसीम की उटेरा खेती करना उचित है. इसमें धान काटने से 10-15 दिन पहले ही बरसीम की बुवाई खड़ी फसल में छिड़काव विधि से करते हैं.

प्रति हेक्टेयर 25-30 किलो ग्राम बीज बोते हैं. पहली कटाई में चारे की अधिक उपज लेने के लिए 1 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर चारा सरसों का बीज बरसीम में मिलाकर बोना चाहिए.

यदि बरसीम के किसी खेत में पहली बार बुवाई की जा रही है तो प्रति 10 किलो ग्राम बीज को 250 ग्राम की दर से बरसीम कल्चर से उपचारित कर लें.

कल्चर न मिलने पर पिछले वर्ष के बरसीम बोई गई खेत की 50 किलो ग्राम नम भुरभुरी मिट्टी मिला लेते हैं.

20 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 80 किलो ग्राम फोस्फोरस और 40 किलो ग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़क कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें.

पहली सिंचाई बीज अंकुरण के तुरंत बाद करनी चाहिए. बाद में प्रत्येक सप्ताह के अंतर पर 2-3 बार सिंचाई करनी चाहिए.

इसके पश्चात फरवरी के अंत तक बीस दिन के अंतर पर सिंचाई करें और मार्च से मई तक 10 दिन के अंतर पर सिंचाई करना आवश्यक होता है.

आमतौर पर प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई अवश्य की जानी चाहिए. एक बार में लगभग 5 सेंटीमीटर से ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए.

कुल 4-5 कटाई करते हैं. कटाई जमीन से 5-6 सेमी. ऊपर से करनी चाहिए.

पहली कटाई बोने के 45 दिन बाद दिसम्बर और जनवरी में, 30-35 दिनों के अंतर पर फरवरी से 20-25 दिनों के अंतर पर

प्रति हेक्टेयर 60-70 टन हरा चारा प्राप्त होता है. 2-3 कटाई के बाद बीज 2-3 किंटल प्रति हेक्टेयर एवं 40-50 टन प्रति हेक्टेयर हरा चारा मिलता है.

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