नई दिल्ली. इस दौरान देश के कई राज्य बाढ़ की चपेट में हैं. सबसे ज्यादा खराब हालात पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में दिक्कतें ज्यादा हैं. ऐसे में पशुपालकों के सामने अपने पशुओं को बचाने की मुश्किल है. पशुओं को चारा नहीं मिल रहा है और भी कई परेशानियां हैं. ऐसे में हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़, लुवास, हिसार की ओर से पशुपालकों को बाढ़ आपदा में पशु आहार प्रबंधन के बारे में अहम जानकारी दी गई है. जिसे यहां लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज आपके सामने लेकर आया है.
ये जानकारियां बेहद ही अहम हैं, जिससे आपको इस मुश्किल घड़ी में काफी फायदा पहुंचेगा. आइए जानते हैं कि अपने पशुओं का चारा प्रबंध कैसे करें. ये अहम जानकारी डॉ. ज्योति शुंथवाल, डॉ. दविंदर सिंह, डॉ. आनंद कुमार पांडे और डॉ. सुजॉय ने दी है.
पूर्ण चारा ब्लॉक
बाढ़ के दौरान और बाद में चाटे की कमी हो जाती है. ऐसे में पूर्ण चारा ब्लॉक पशुओं के लिए, बाढ़ में अहारे प्रबंधन का एक कारगर विकल्प हैं.
पूर्ण चारा ब्लॉक बनाने का तरीका
{सूखा चारा व दाना मिश्रण (60:40), दाना मिश्रण (40%)- गेंह, मक्का,जौ, बाजरा (40%) + सरसों, मूंगफली, बिनोला की खल (20%) + सोयाबीन मील (20%) + चावल, गेंह चोकर खनिज मिश्रण (2%) + नमक (1%)+ शीरा (5-10%)
इमरजेंसी में क्या करें
आपदा प्रभावित क्षेत्रो में हमे विपरीत स्थिति के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए. ऐसे प्रभावित क्षेत्रों में चारे की खेती को प्रोत्साहित करें, बीज वितरण करें. सूखे चाटे, हे, आदि का भंडारण करें.
साथ ही नॉन-कन्वेंशनल चारे स्रोतों का उपयोग करें. जैसे यूरिया, गड़, चारे ब्लॉक, चारे यूरिया और गुड़ से बने ईटें आदि का भंडारण आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी साबित हो सकता है.
ध्यान रखें कि बाढ़ के दौरान पशुओं को खाने के लिए सूखा, भूसा दें. जिससे उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा जानवरों को गर्म रखती है.
मोल्ड युक्त या प्रदूषित चारे से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं.
वयस्क जानवरों को 40-50 ग्राम नमक और छोटे जानवरों को दैनिक रूप से 10-20 ग्राम नमक की आवश्यकता होती है.
सूखा चारा ब्लॉक
सूखा चारा (तूड़ी) ब्लॉक का इस्तेमाल बौढ आपदा के दौरान पशुओं को जीवित रखने के लिए उपयोगी हो सकते हैं.
इसे बनाने का तरीका सूखा चारा (तूड़ी) 87%+शीरा (मोलासेस) 10% + यूरिया (1%) + नमक (1%)