Government Scheme: अब पराली से होगी कमाई, प्रदूषण भी होगा कम और किसानों की इनकम भी बढ़ेगी

Stubble News, Supreme Court, parali news

पराली जलाने का प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. देश में खासतौर पर हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में पराली की समस्या एक गंभीर मामला है. जिसके चलते देश की राजधानी दिल्ली तक में प्रदूषण फैल जाता है. किसान मजबूरी में पराली जला देते हैं लेकिन अब उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी. दरअसल, हरियाणा के किसानों के लिए सरकार की ओर से एक योजना की शुरुआत की गई है, जो उनके लिए बेहतरीन योजना साबित हो सकती है. यानी अब किसानों को धान की पराली जलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ना ही अब पराली किसानों और उद्योगों के लिए परेशानी का सबब बनेगी. बल्कि इससे कमाई ही होगी.

हरियाणा कृषि विभाग की योजना से पराली से जुड़े उद्योग लगाने वाले लोगों को 65 फीसदी तक सब्सिडी सरकार की ओर से दी जा रही है. पिलछे दिनों एक बयान जारी करते हुए उपयुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत परली आधारित उद्योग किस समूह सहकारी समितियां और पंचायतें, इसके लिए आवेदन कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि योजना के तहत उद्योगों को पराली आधारित इकाइयां लगाने के लिए 15 जुलाई तक आवेदन ऑनलाइन पोर्टल पर करना होगा.

किसे मिलेगा फायदा
इस बात को भी जान लीजिए योजना उन क्षेत्रों में लागू की है, जहां यूनिट 25 किलोमीटर के दायरे में होगी. कृषि विभाग की ओर से इसके लिए 65 फीसद तक सब्सिडी दी जाएगी. पहले विकल्प में 25 परसेंट और एग्रीगेटर 10 परसेंट खर्च करेगा. दूसरे विकल्प में एग्रीगेटर को 35 फीसद योगदान देना होगा. इन यूनिट के लिए बेलन, ट्रेडर, हैंडलर नहीं मापक यंत्र, ट्रैक्टर जैसे तमाम मशनों पर सब्सिडी दी जाएगी जो लोग प्रणाली का प्रबंध कर रहे हैं उन्हें आवेदकों को 2024 में आवेदन किया है. उन्हें दोबारा आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है.

जल्द करें आवेदन
बता दें कि वर्ष 2025-26 के लिए “पराली सप्लाई चेन पर अनुदान के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. एक करोड़ अथवा 1.5 करोड़ रुपये तक कीमत का “पराली सप्लाई चेन से संबंधित प्रोजेक्ट लगाने पर हरियाणा के कृषि तथा किसान कल्याण विभाग द्वारा अनुदान दिया जाएगा. इसके लिए 15 जुलाई तक आनलाइन आवेदन किया जा सकता है. यह आवेदन कृषि पोर्टल agriharyana. gov.in पर करना होगा. कृषि यंत्र निर्माता स्कीम में मशीनों की आपूर्ति के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा. अनुदान के लिए दो विकल्प दिए गए हैं. इनमें प्रथम विकल्प के तहत परियोजना लागत का 65 प्रतिशत, 25 प्रतिशत उद्योग एवं 10 प्रतिशत एग्रीगेटर का अंशदान होगा.

Exit mobile version