नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन्ही योजनाओं में से एक है मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना. इस योजना के तहत आवेदन मांग गए हैं. मतलब, जो कोई भी योजना का फायदा लेना चाहता है वो योजना के तहत आवेदन कर सकता है. बताते चलें कि सिवान जिले में योजना का आगामी लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है. जिले में 400 हेक्टेयर चौर भूमि को मत्स्य पालन क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाना है. मानक संचालन नियमवली के अनुरुप जिले में मत्स्य क्लस्टर विकसित करने हेतु अभी प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है.
योजना का फायदा पाने के लिए आवेदन करना होगा. आवेदन करने के लिए fisheries.bihar.gov.in पर ऑनलाइ किए जाएंगे. आवेदन करने के लिए आखिरी तारीीख 31 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है. बताते चलें कि समेकित आर्द्र भूमि योजना से बेकार पड़ी भूमि का उपयोग किया जारहा है. यही वजह है कि समेकित मत्स्य पालन के द्वारा लागत घट रही है, आमदनी बढ़ी है और रोजगाार के अवसर खुले हैं.
3.76 लाख रुपए की दी गई सब्सिडी
सिवान जिले में मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना की प्रगति की बात की जाए तो अकेले सिवान जिले के कुल 135 किसान अब तक इस योजना से जुड़कर मछली पालन के माध्यम से आत्मनिर्भर हुए है. इन 135 किसानों को योजनान्तर्गत 3.76 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी गयी है. समेकित चौर विकास योजना से बेकार भूमि हो रही गुलज़ार, चौर क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन कर किसान खुशहाल हो रहे हैं. बता दें कि सिवान जिले में मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना की प्रगति, चिन्हित क्लस्टरों के अलावा 28 हेक्टेयर अतिरिक्त चौर भूमि को योजना से फायदा पहुंचाया गया है. इसी प्रकार सिवान जिले की कुल 108.9 हेक्टेयर चौर भूमि योजनांतर्गत विकसित की गई है.
मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना की प्रगति
सिवान जिले में मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के लिए तीन प्रखंडो यथा-भगवानपुर, बसंतपुर और गोरियाकोठी चिन्हित की गयी है. पहचाने गए 03 प्रखंडो के दूधारा चौर क्लस्टर, शेखपुरा चौर क्लस्टर, जानकीनगर चौर क्लस्टर आदि की बेकार पड़ी 80 हेक्टेयर चौर भूमि अब मत्स्य पालन का केंद्र बन कर उभरी है. इन क्लस्टरों के 60 मत्स्य पालक योजना से जुड़कर अपने परिवार का जीवन संवार रहे हैं
किसानों को मिल रहा है फायदा
इस योजना का उद्देश्य राज्य में उपलब्ध अविकसित एवं इस्तेमाल में ना आने वाली निजी चौर भूमि को विकसित कर मत्स्य पालन योग्य बनाना है. साथ ही चौर संसाधनों में मछली पालन के साथ-साथ कृषि, बागवानी एवं कृषि वानिकी को समेकन कर उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना भी है. गैर कृषि योग्य जमीन मत्स्य पालन का आधार बनाया जा रहा है. इससे किसानों को फायदा मिल रहा है.