नई दिल्ली. पशुओं को खरीदते समय उनकी उम्र और सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए. कम उम्र और अच्छी सेहत वाला पशु खरीदेंगे तो इससे आपको डेयरी फार्मिंग के काम में फायदा मिलेगा. क्योंकि तब पशु ज्यादा दिनों तक दूध का उत्पादन करेगा. जिससे डेयरी फार्मिंग में मुनाफा होगा. एक्सपर्ट का कहना है कि पशु की सेहत देखकर पशु की उम्र का अनुमान लगाया जा सकता है. बूढ़े पशु की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और पशु धीमी गति से चलता है. उसकी त्वचा ढीली हो जाती है और मुंह से दांत गिर जाते हैं. बूढ़े पशु की आंख के पीछे तथा कान के बीच के टेम्पोरल क्षेत्रों में गड्ढा बन जाता है.
इसके विपरीत युवा अवस्था की भैंसों व गायों का शरीर सुंदर, सुडौल, चुस्त, चमकदार त्वचा तथा चर्बी कम होती है. अच्छी खुराक होने पर भी बूढ़े पशु और स्वस्थ पशु में अंतर कर पाना संभव नहीं हो पाता है. कई बार व्यापारी ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाकर दूध दोहन कराते हैं. इससे बचने के लिए जब भी दूध दोहन कराएं तो अपने सामने कम से कम आधा घंटा व्यापारी से बात करने में गुजार दें फिर इसके बाद ही दोहन कराएं.
चमक से खा जाते हैं धोखा
खुले बाजार, मेलों, पशु हाट आदि से पशुओं को खरीदने में कभी-कभी पशु की पहचान करने में धोखा हो जाता है. इसलिए खरीदते समय उक्त स्थान पर यदि गर्भ की जांच करने वाला कोई जानकार या पशु चिकित्सक हो तो उससे गर्भ जांच करा लेना चाहिए. भैंस के सींगों का बारीकी से निरिक्षण कर लें कि कहीं दरातीं से घिसे हुए तो नहीं हैं. त्वचा की चमक पर धोखा खाने से पहले देख लेना चाहिए कि भैंस पर चमक पैदा करने के काला तेल तो नहीं चुपड़ दिया गया है.
दूध बढ़ाने के लिए करते हैं ये काम
कई बार चालाक किस्म के लोग बकरी, गाय या भैंस के नीचे किसी दूसरी अनुपयोगी गाय भैंस का नवजात लवारा बांध देते हैं तथा उसे ताजी ब्याही बताकर अधिक कीमत में बेचकर धोखा दे देते हैं. इससे बचने के लिए बच्चे को उसकी मां के नीचे लगाकर देखना चाहिए. दूध बढ़ाने के लिए चीनी, गुलकंद, जलेबी की चासनी, ओवर फीडिंग करके भी व्यापारी दूध की मात्रा में वृद्धि करके दिखा देते हैं. इसलिए इसकी पहचान अनुभवी पशुपालकों के माध्यम से अथवा संभव हो तो तीन-चार दिन नजर रखकर की जा सकली है. भैंस के रंगे खुर तथा काजल लगी आंखों को सफेद कपड़े से पोछकर पता किया जा सकता है.